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नेशनल

संबित पात्रा का प्रमोशन तय, इस बड़ी पोस्ट की ओर बढ़े कदम

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों राज्यसभा की टिकटों को लेकर मंथन चल रहा है। इसी में से एक नाम निकलकर सामने आया है बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का। इसके कयास लगने शुरू हो गए है कि बीजेपी झारखंड से संबित पात्रा को राज्यसभा भेज सकती है।

वहीं एक दो और नामों पर भी चर्चा हो रही है जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का भी नाम भी शामिल है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक संबित पात्रा का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। उल्लेखनीय है कि संबित पात्रा ओडिशा के रहने वाले है लेकिन उनका जन्म धनबाद में हुआ था। इसके अलावा संबित पात्रा की प्रारंभिक शिक्षा बोकारो के चिन्मया विद्यालय में हुई थी।

दरअसल भारतीय जनता पार्टी, राज्यसभा के लिए उसी राज्य के निवासी को सांसद बनाकर राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रही है। बीजेपी को ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि बाहरी नेता को राज्यसभा भेजने पर उन राज्यों में विरोध के स्वर उठने लगते हैं। भाजपा चाहती है कि वहीं के निवासियों को राज्यसभा भेजकर विरोध को कम किया जा सके।

बता दें कि झारखंड से राज्यसभा की दो खाली हो रही सीटों के लिए 23 मार्च को वोट डाले जाएंगे। रिक्त पदों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 12 मार्च है जबकि नामांकन पत्रों की जांच 13 मार्च को होगी वहीं नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 15 मार्च है। यह चुनाव झरखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से राज्यसभा सदस्य संजीव कुमार और कांग्रेस टिकट से चुने गए प्रदीप बलमुचू की 3 मई को खाली हो रही सीटों के लिए होगा।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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