आध्यात्म
जेकेसी ने लगाया निःशुल्क मोतियाबिंद शिविर, एक हजार लोगों का हुआ सफल आपरेशन
मनगढ़। मनगढ़ के जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय (जेकेसी) की ओर से 23 से 26 फरवरी तक निशुल्क मोतियाबिंद शल्यक्रिया शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में करीब एक हजार मरीजों के ऑपरेशन कर मोतियाबिंद निकाले गए। इन सफल ऑपरेशनों के बाद सभी नेत्ररोगियों को साफ दिखने लग जाएगा। मोतियाबिंद के इन ऑपरेशनों से जुड़े कार्यों में नेपाल के तिलंगाना इंस्टीट्यूट ऑफ ऑफ्थेलमॉजी ने भी सराहनीय योगदान दिया।
बीती 23 फरवरी को जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की तीनों अध्यक्ष डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी ने मोतियाबिंद शल्यक्रिया शिविर का आयोजन किया। कैम्प में मोतियाबिंद से पीडि़त करीब एक हजार लोगों के निशुल्क ऑपरेशन किए गए। इसके अलावा सभी नेत्र रोगियों को ऑपरेशन के पहले और बाद में लगने वाली जरूरी चीजें, दवाएं और चश्मे भी मुफ्त दिए गए।
उल्लेखनीय है कि जगद्गुरु कृपालुजी महाराज ने मनगढ़ और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय की स्थापना की थी। जेकेसी समय–समय पर न सिर्फ निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करता है बल्कि हर सप्ताह अस्पताल की ओर से हजारों रोगियों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया कराता हैं। वृंदावन और बरसाना में भी जगद्गुरु कृपालुजी महाराज ने दो और अस्पतालों की स्थापना भी मानव सेवा के प्रयोजन से की थी। यहां भी रोगियों को मुफ्त स्वास्थ्य परामर्श और मुफ्त दवाएं दी जाती हैं।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
-
लाइफ स्टाइल2 days ago
तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय
-
नेशनल3 days ago
अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए तो इस बार बीजेपी केंद्र की सत्ता में आसानी से वापस नहीं आने वाली: मायावती
-
नेशनल2 days ago
हैदराबाद से बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता के खिलाफ FIR दर्ज, मस्जिद की तरफ काल्पनिक तीर छोड़ने का आरोप
-
नेशनल2 days ago
सपा ने कन्नौज से तेज प्रताप यादव को बनाया उम्मीदवार, अखिलेश नहीं लड़ेंगे चुनाव
-
नेशनल2 days ago
शिक्षक भर्ती घोटाला: कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से गई 24000 शिक्षकों की नौकरी, बस एक महिला की बची जॉब
-
नेशनल2 days ago
राहुल गांधी की तबियत आज भी खराब, तमाम चुनावी कार्यक्रम हुए कैंसिल
-
नेशनल2 days ago
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
-
नेशनल2 days ago
सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता नाबालिग को 30 सप्ताह का गर्भ गिराने की दी इजाजत