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नेशनल

केजरीवाल के घर से बरामद CCTV फुटेज संदेह के घेरे में, 40 मिनट पीछे चल रहे थे कैमरे

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस ने अब सनसनीखेज खुलासा किया है। दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल के घर छापेमारी के बाद डीसीपी ने बताया कि हमने घर में लगे सभी 21 कैमरों की हार्ड डिस्क जब्‍त कर ली है।

उन्होंने बताया कि घर में लगे सभी कैमरे 40 मिनट 42 सेकंड पीछे चल रहे थे। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि इन कैमरों के समय में कब बदलाव किया गया है, या फिर कब इन कैमरों का समय सेट किया गया है।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि अरविंद केजरीवाल के घर पर कुल 21 सीसीटीवी कैमरे लगे थे। इनमें से 14 कैमरे चालू हालत में काम कर रहे थे, जबकि 7 कैमरे बंद थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस कमरे में यह वारदात हुई है, उस कमरे में कैमरा नहीं लगा था।

पुलिस ने बताया कि अगर कैमरों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गई है या नहीं। यह फॉरेंसिक टीम की जांच के बाद सामने आ जाएगा। फॉरेंसिक टीम के साथ पहुंची थी। वहीं, अरविंद केजरीवाल के साथ पूछताछ के सवाल पर दिल्ली पुलिस ने साफ कर दिया कि केजरीवाल से पूछताछ नहीं की गई है।

डीसीपी ने बताया कि हमारे साथ फॉरेंसिक टीम भी गई थी ताकि हम सबूतों को बेहतर तरीके से जुटा सके। उन्होंने कहा कि हम इस बात की पुष्टि करना चाहते थे कि कहीं किसी कैमरे में रिपेयर वर्क किया गया था या नहीं या फिर किसी कैमरे को उसकी जगह से हटाया तो नहीं गया था।

उधर, पुलिस की छोपमारी के बाद आम आदमी पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि सीएम के घर पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी पहुंच गए। बिना जानकारी दिए पुलिस सीएम के घर पहुंची थी। पुलिस राज ने दिल्ली में लोकतंत्र की हत्या कर दी है। पुलिस मुख्यमंत्री के पूरे घर में फैल गई थी, अगर ये लोग चुने हुए मुख्यमंत्री के साथ कर सकते हैं तो सोचिए गरीब व्यक्ति के साथ यह क्या करेंगे। पुलिस ने अपनी इस हरकत से मुख्यमंत्री को शर्मिंदा करने की कोशिश की है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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