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आर्थिक सर्वेक्षण : मुख्य बिंदुएं

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नई दिल्ली | वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा शुक्रवार को संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 की प्रमुख बिंदुएं इस प्रकार हैं : – 2015-16 में आठ फीसदी से अधिक विकास दर अनुमानित।

– दहाई अंकों में विकास दर अब संभव।

– 2011-12 के बाद से आठ प्रमुख उद्योगों की विकास दर औद्योगिक विकास दर से अधिक।

– अप्रैल-दिसंबर 2014-15 में महंगाई में गिरावट का रुझान, औसत डब्ल्यूपीआई महंगाई दर घटकर 3.4 फीसदी, जो एक साल पहले समान अवधि में औसत छह फीसदी थी, डब्ल्यूपीआई खाद्य महंगाई दर घटकर 4.8 फीसदी, जो एक साल पहले समान अवधि में 9.4 फीसदी थी, सीपीआई महंगाई दर 5 फीसदी के रिकार्ड निचले स्तर पर, जो गत दो साल में 9-10 फीसदी थी।

– खाद्य महंगाई कम करने की सरकारी कोशिश और कच्चे तेल के मूल्य में लगातार गिरावट के कारण महंगाई दर में गिरावट।

– अनाज उत्पादन 2014-15 में 25.707 करोड़ टन अनुमानित। यह गत पांच साल के औसत अनाज उत्पादन से 85 लाख टन अधिक रहेगा।

– कृषि और संबद्ध क्षेत्र का जीडीपी में 18 फीसदी योगदान।

– औद्योगिक विकास बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए गए।

– जनादेश सुधार के लिए और बाहरी माहौल जोखिम रहित।

– व्यापक सुधार की गुंजाइश।

– सेवा क्षेत्र में दहाई अंकों में विकास दर 10.6 फीसदी।

– बाहरी क्षेत्र में मजबूती की वापसी।

– बैंकिंग, बीमा और वित्तीय क्षेत्र में बड़े सुधारक कदम उठाए गए।

– राष्ट्रीय सौर मिशन का आकार पांच गुणा बढ़ाकर 1,00,000 मेगावाट किया गया।

– स्वच्छ ऊर्जा उपकरण दोगुणा कर प्रति टन 100 रुपये कर दिया गया। इससे 17,000 करोड़ रुपये की आय होगी।

– तेज विकास के लिए कार्योन्मुख नीतियां, जबकि जलवायु परिवर्तन से लक्षित तरीके से निपटा जा रहा है।

– भारतीय रेल की संरचना, वाणिज्यिक पद्धति और प्रौद्योगिकी में सुधार करने की सिफारिश।

– विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए रेलवे में अधिक सरकारी निवेश।

– सरकार वित्तीय घाटा कम करने के लिए प्रतिबद्ध, राजस्व बढ़ाना एक प्राथमिकता।

– देश में अतिरिक्त वित्तीय गुंजाइश बनाने की जरूरत।

– पुरुष साक्षरता 80.9 फीसदी, महिला साक्षरता 64.6 फीसदी।

– मेक इन इंडिया और स्किलिंग इंडिया के बीच संतुलन की जरूरत, कौशल विकास और रोजगार प्रमुख चुनौतियां।

– 2014-15 में (जनवरी तक) खाद्य सब्सिडी खर्च 1,07,823.75 करोड़ रुपये, एक साल पहले के मुकाबले 20 फीसदी अधिक।

– सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित करने से कृषि में सरकारी निवेश के लिए संसाधन तैयार होंगे।

– कृषि उत्पाद के लिए राष्ट्रीय साझा बाजार तैयार होंगे।

– निवेश का माहौल बेहतर करने के लिए सरकारी निवेश में फिर से तेजी लानी होगी।

– 14वें वित्त आयोग से वित्तीय संघवाद को मिलेगा बढ़ावा।

– प्रौद्योगिकी स्टार्टअप क्षेत्र में काफी तेज विकास।

– गांवों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाओं की पहुंच से मेक इन इंडिया मिशन को मिलेगा बल।

– इलेक्ट्रॉनिक वीसा से पर्यटन क्षेत्र में तेजी।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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