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खून से रंगे मासूमों के हाथ, आखिर कौन है जिम्मेदार

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कहते हैं कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं। ये मासूम बच्चे ही तो आने वाले कल का भविष्य हैं। लोगों का मानना है किसी भी इमारत को लम्बे वक्त तक खड़ा रहने के लिए उसकी नींव मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में जितनी महत्वपूर्ण बच्चों के लिए एक अच्छी परवरिश है, उतना ही माहौल का पॉजिटिव होना। फिर क्यों हम फेल हो रहे हैं बच्चो को एक ऐसा माहौल देने में?

आए दिन हमें सुर्खियों में ऐसी घटनाएं सुनाई देती हैं। अभी लोगों के जेहन से प्रद्युम्न का ख्याल गया भी नहीं था कि लखनऊ के ब्राइट लैंड स्कूल के ऋतिक और फिर यमुनानगर में प्रिंसिपल की हत्या ने सभी को चौंका दिया। इन तमाम घटनाओं ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया कि कहीं न कहीं देश का भविष्य संकट में है।

आज हमने लखनऊ इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल और टीचरों से बात की और जानने की कोशिश कि आखिर कहां हो रही है चूक? स्कूल का मानना है कि कहीं न कहीं इसके जिम्मेदार पैरेंट्स हैं, जो बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं।

उनका यह भी दावा है कि स्कूल अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। प्रिंसिपल का यह भी कहना है कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के साथ स्टाफ की सिक्योरिटी का भी ध्यान ख्यान रखा जाना चाहिए।

वहीं दिन के कई घंटे बच्चों के साथ गुजारने वालीं टीचरों का मानना है कि
कहीं न कहीं ये पैरेंट्स की लापरवाही का नतीजा है। आज के बच्चे रीयल वल्र्ड से ज्यादा वर्चुअल वल्र्ड से कनेक्टेड हैं।

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