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नेशनल

लालू की सजा पर भाजपा गद्गद, तेजस्वी ने नीतीश को कोसा

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पटना | चारा घोटाले के एक मामले में बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की रांची स्थित विशेष अदालत द्वारा पांच साल की सजा सुनाए जाने का भाजपा और जद (यू) ने स्वागत किया है। वहीं, राजद ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने की बात कहते हुए कहा कि लालू को इस मामले में फंसाया गया है।

tejaswi yadav and nitin kumar and lalu yadav के लिए इमेज परिणाम

बिहार के उप मुख्यमंत्री व इस मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक सुशील कुमार मोदी ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने लालू के फंसाए जाने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अदालत के फैसले को सबको स्वीकार करना चाहिए।  उन्होंने कहा कि जिन तीन मामलों में लालू को सजा हुई है, उन तीनों के न्यायाधीश अलग-अलग थे।

ऐसे भी यह जिस समय का मामला था उस समय बिहार के राज्यपाल ए़ आऱ किदवई थे, जिन्होंने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत की थी। उस समय केंद्र में एच़ डी़ देवगौड़ा की सरकार थी। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि भले ही अदालत ने लालू को दोषी माना हो, लेकिन बिहार की जनता आज भी लालू को ‘हीरो’ मानती है।  उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उन्हें (लालू) फंसाया गया है और वे इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायलय तक जाएंगे।

तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार का पितामह बताते हुए कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर लालू को फंसाया है। इन लोगों का ‘टारगेट’ लालू यादव हैं। नीतीश बिहार के विकास के लिए नहीं बल्कि लालू को कैसे सजा और दी जाए यह तय करने के लिए बार-बार दिल्ली जाते हैं।”

इन लोगों का ‘टारगेट’ लालू यादव हैं। जद (यू) के वरिष्ठ नेता क़े सी़ त्यागी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अदालत का कोई भी फैसला हमें स्वीकार है। उन्होंने कहा कि जिसने भी सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया और उसका खुलासा हुआ, तभी तो सजा मिल रही है। सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को लालू प्रसाद को चारा घोटाले में चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में पांच साल कारावास की सजा सुनाई। चारा घोटाले का यह तीसरा मामला है, जिसमें लालू प्रसाद को सजा सुनाई गई है। लालू प्रसाद पहले से ही चारा घोटाले के ही एक मामले में रांची की बिरसा मुंडा जेल में साढ़े तीन साल कारावास की सजा काट रहे हैं।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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