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फिर हरे हुए बिग बी के जख्म, झेलना पड़ रहा बेहिसाब दर्द

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मुम्बई। बॉलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन आज भी उतने ही हिट है जितने पहले हुआ करते थे। लगातार अब भी वह फिल्मों में काम कर रहे हैं। उनकी आने वाली फिल्मों ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान और 102 नाट आउट जैसी बड़ी फिल्में शामिल है।

amitabh bachan and anushka reception के लिए इमेज परिणाम

बिग बी इन फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त है लेकिन उनका पुराना अतित यानी कंधे का पुराना जख्म एक बार फिर उभर गया। दरअसल बॉलीवुड के सरताज अमिताभ बच्चन आजकल अपनी पुरानी कंधे की चोट एक बार फिर अपना रंग दिखा रही है और बिग बी असहनीय पीड़ा के दौर से गुजर रहे हैं।

इस बात की जानकारी खुद अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग पर दी है। उन्होंने कहा कि कि एक फिल्म के सेट पर कुछ भारी वजन उठा लेने के बाद हाल ही में उनका पुराना जख्म फिर से उभर आए। बच्चन इस समय दवा ले रहे हैं और अपने जख्म पर बर्फ की सिकाई कर रहे हैं।

amitabh bachan and anushka reception के लिए इमेज परिणाम

बता दें कि 26 दिसंबर को अमिताभ अपने पूरे परिवार के साथ विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की रिसेप्शन पार्टी में खास तौर पर शामिल हुए थे। इस दौरान भी उनके हाथों पर बेल्ट लगी हुआ था और काफी तनाव में भी थे।

amitabh bachan and anushka reception के लिए इमेज परिणाम

मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने अपनी आगामी फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ की शूटिंग पूरी कर ली है।  अमिताभ के लिए शूटिंग का यह कार्यक्रम काफी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने इसे ऊर्जा से भरपूर बताया।

अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा, “थाइलैंड की जंगली पहाड़ियों व ठंड के बीच फिल्म का यह मुश्किल शूटिंग कार्यक्रम आखिरकार समाप्त हो गया है। थाइलैंड के लोगों का व्यवहार काफी अच्छा रहा। ठग्स ऑफ हिंदुस्तान के लिए शूटिंग बहुत मुश्किल थी, लेकिन यह ऊर्जा से भरपूर रही।” फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ के दूसरे सितारों में आमिर खान, फातिमा सना शेख व कटरीना कैफ शामिल हैं। फिल्म अगले साल दिवाली पर रिलीज होनी है।

यशराज फिल्म प्रोडक्शन के तहत फिल्म का निर्देशन विजय कृष्ण आचार्य कर रहे हैं, जिन्होंने धूम 3 का निर्देशन किया था। फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ 1839 के उपन्यास ‘कंफेशंस ऑफ ए ठग’ पर आधारित है।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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