Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

जेकेपी ने वार्षिकोत्सव की विजयी छात्राओं को पुरस्कृत किया

Published

on

Loading

लखनऊ। जगद्गुरु कृपालु परिषद(जेकेपी) एजुकेशन की ओर से रविवार को आयोजित विशेष पुरस्कार एवं उपहार वितरण समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं में द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर उन्हें एक-एक कम्बल भी प्रदान किया गया।
  बीते 10 दिसम्बर को जेकेपी एजुकेशन की ओर से जगद्गुरु कृपालु महावद्यालय में वार्षिकोत्सव ‘उत्थान’ का रंगारंग आयोजन किया गया था। इस अवसर पर हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने अपने हुनर का लोहा मनवाया था। वार्षिकोत्सव के दिन ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया गया था।
समारोह में जिन 300 छात्राओं ने हिस्सा लिया था, उन्हें भी रविवार को एक-एक कम्बल बांटा गया। वही विशेष पुरस्कार एवं उपहार वितरण समारोह में महिला शिक्षकों में एक साड़ी और शॉल तथा पुरुष शिक्षकों में वस्त्र और जैकेट उपहार में दिए गए। इसके अलावा वार्षिकोत्सव में विशेष सहयोग देने वाली छात्राओं को भी एक-एक मोटी गर्म रजाई उपहार में दी गई।
Continue Reading

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending