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नेशनल

अब सामने आई जयललिता की ‘बेटी’, हाईकोर्ट का खटखटाया दरवाजा

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चेन्नई। एक महिला ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की जैविक बेटी होने का दावा किया है। इस दावे के साथ ही उसने मद्रास हाईकोर्ट का रुख करते हुए अपील की कि जयललिता के पार्थिव शरीर का वैष्णव ब्राह्मण समुदाय के रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए।

न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने महिला की याचिका की पर निर्णय लेने के लिए सुनवाई के लिए 23 दिसम्बर की तारीख तय की है। महिला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील वी प्रकाश ने जयललिता से रिश्ते का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण के अनुरोध को शामिल करने के वास्ते याचिका में संशोधन का समय मांगा।

महिला ने दावा किया कि उसे जयललिता की बहन और उनके पति को गोद दे दिया गया था। न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा कि कई लोगों ने दावा किया कि वे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले पर अंतिम फैसले के लिए डीएनए परीक्षण का आदेश दिया जा सकता है। साथ ही अदालत ने कहा कि अगर परीक्षण के बाद दावा झूठा साबित हुआ तो याचिकाकर्ता को इसके नतीजों का सामना करना पड़ेगा.

बता दें कि हाल ही में जारी हुए तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के एक वीडियो ने भी सनसनी मचा दी थी। वीडियो में जयललिता को अस्पताल के बिस्तर पर दिखाया गया था। वीडियो क्लिप में जयललिता को प्लास्टिक ग्लास में कुछ पीते हुए दिखाया गया है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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