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उप्र विधानसभा : यूपीकोका को लेकर सत्ता व विपक्ष के बीच तीखी बहस

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लखनऊ, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में चल रहे मौजूदा विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को उप्र संगठित अपराध नियंत्रण एक्ट (यूपीकोका) पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई। बहस की शुरुआत में मुख्ममंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उप्र में किसी के साथ द्वेष की भावना से इस एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि पूरा विपक्ष उनके इस आश्वासन के बावजूद इस एक्ट का जमकर विरोध किया और एक स्वर से इसे लोकतंत्र एवं जनता विरोधी करार दिया।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को विधानसभा कार्यवाही के दौरान यूपीकोका पर चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए योगी ने कहा, यूपीकोका में किसी प्रकार के द्वेष की भावना से कार्रवाई नहीं की जाएगी। प्रदेश में सुरक्षा की भावना हो, निवेश लाने के लिए यूपीकोका जरूरी है। अवैध तरीकों से धन कमाने वालों के लिए यूपीकोका लाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा, अपराधमुक्त प्रदेश बनाना हमारी प्राथमिकता है। पिछले नौ महीनों में महसूस हुआ कि संगठित अपराध के लिए कानून जरूरी है। पिछले कुछ सालों में उप्र की राजनीति का अवमूल्यन हुआ है। आम लोगों का विश्वास सरकारों ने तोड़ा है। कानून व्यवस्था को लेकर देश में प्रदेश की छवि खराब हुई है। खराब कानून व्यवस्था के चलते कोई प्रदेश में निवेश नहीं करना चाहता है। यही कारण है कि प्रति व्यक्ति आय देश की तुलना में काफी कम है।

योगी ने कहा, हमारी सरकार के कार्यकाल में सावन मेला, कावंड़, मुहर्रम, बारावफात, दीपावली शांतिपूर्ण ढंग से मनाई गई। कुछ छिटपुट घटनाएं हुई। नगर निकाय चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। आम आदमी शांति, विकास चाहता है। सरकार से सुरक्षा चाहता है। हमने इस मुकाम की खामियों को दूर किया है। पुलिस अधिकारी फुट पेट्रोलिंग कर रहे हैं।

योगी ने कहा, 1.26 लाख शरारती तत्वों को गिरफ्तार किया गया है। कई मामलों में शरारत और साजिश नजर आई। पुलिस पर हमले हुए। किसी माफिया, अपराधी को सरेआम गोली चलाने की छूट नहीं दे सकते। 800 मुठभेड़ हुई, 114 पर एनएसए, 139 पर गैंगस्टर लगा। करोड़ों की संपत्ति सीज हुई। 25 दुर्दात अपराधी मुठभेड़ में मारे गए।

उन्होंने कहा, प्रदेश में निवेश के लिए लोग लालायित हैं। सुरक्षा की भावना से निवेश बढ़ेगा। 2016 की तुलना में अपराध कम हुआ है। हमने अपराध को और कम करने के लिए एसपी ऑफिस में एफआईआर काउंटर खोला। योगी 2,700 अपराधियों ने सरेंडर किया। जमानत कटवा कर जेल गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्रकूट मंडल में डकैतों के खिलाफ अच्छी कार्रवाई की गई। पुलिस में मैन पावर की कमी को देखते हुए हमने सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति से भर्ती शुरू की है। पुलिस भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सुरक्षा की भावना हो, निवेश लाने के लिए यूपीकोका जरूरी है। अवैध तरीकों से धन कमाने वालों के लिए यूपीकोका लाया जा रहा है। यूपीकोका पर चर्चा कर सदन इसे पास करे।

मुख्यमंत्री के बाद नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, उप्र के मुख्यमंत्री एक तरफ कह रहे हैं कि उप्र में मुठभेड की वजह से सारे अपराधी उप्र छोड़कर भाग गए हैं और या तो मार दिए गए हैं। जब उप्र में अपराधी नही हैं तो यह यूपीकोका किसके लिए लाया जा रहा है।

उन्हांेने मीडिया को भी सचेत करते हुए कहा, यूपीकोका का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ तो होगा ही, मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी खतरे में पड़ गई है। मीडिया को भी किसी अपराधी से बात करने से पहले अधिकारियों की इजाजत लेनी पड़ेगी। यूपीकोका के माध्यम से योगी सरकार चौथे स्तंभ पर भी हमला बोल रही है।

रामगोविंद ने कहा, उप्र में एक तरह से इमरजेंसी लग गई है, लेकिन हम इसका पुरजोर तरीके से विरोधी करेंगे, चाहे इसके लिए जेल ही क्यों न जाना पड़े।

विधानसभा में कांग्रेस के नेता अजय कुमार सिंह लल्लू ने भी कहा, उप्र में यूपीकोका केवल राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए लाया गया है। सरकार इसका इस्तेमाल अपने तरीके से करेगी। यह काला कानून है। यूपीकोका मीडिया की आजादी पर भी प्रतिबंध लगाने का काम करेगी।

उल्लेखनीय है कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को ही यूपीकोका विधेयक को विधानसभा में पेश किया था। गुरुवार को उस पर जमकर बहस हुई।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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