नेशनल
‘मां को नहीं तो क्या अफजल गुरु को करोगे सलाम’
नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिवंगत विश्व हिंदू परिषद नेता अशोक सिंघल पर लिखी एक किताब के विमोचन पर कहा कि ‘वंदे मातरम’ गाने में लोगों को क्या परेशानी है? गुरुवार को नायडू ने कहा कि अगर मां को नहीं तो क्या अफजल गुरु को सलाम करोगे?
विहिप के दिवंगत नेता अशोक सिंघल पर पुस्तक विमोचन के मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘वंदे मातरम माने मां तुझे सलाम। क्या समस्?या है? अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो किसको करेंगे, अफजल गुरु को करेंगे क्या?’ बता दें कि 2001 के दिसंबर में संसद पर आतंकी हमले में दोषी अफजल गुरु को फांसी की सजा दी गयी थी।
उन्होंने राष्ट्रवाद को परिभाषित करने का प्रयास करने वाले लोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि वंदे मातरम का मतलब मां की प्रशंसा करना होता है। उन्होंने कहा, ‘यह इस देश में रह रहे 125 करोड़ लोगों के बारे में है, चाहे उनकी जाति, रंग, पंथ या धर्म कुछ भी हो। वे सभी भारतीय हैं।’
नायडू ने कहा कि हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ सिखाती है जिसका मतलब है कि विश्व एक परिवार है। उन्होंने कहा कि सिंघल हिंदुत्व के समर्थकों में से एक थे और उन्होंने अपने जीवन के 75 साल आने वाली पीढिय़ों के लाभ के लिए समर्पित कर दिए।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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