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नेशनल

तीन तलाक पर सरकार सख्त, तीन साल की जेल संग भरना पड़ेगा हर्जाना

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक पर रोक के लिए बिल लाने की तैयारी कर रही है। बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। फिलहाल, इसे राज्यों को भेजा गया है और उनसे जल्द जवाब मांगा गया है। मसौदे के तहत एक बार में तीन तलाक देने पर पीडि़त महिला के पति को तीन साल जेल हो सकती है। उसे महिला और उसके नाबालिग बच्चों को हर्जाना भी देना होगा।

इस ड्राफ्ट के अनुसार अगर कोई भी पुरुष, पत्नी को तीन तलाक देता है तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है। प्रस्तावित कानून में तुरंत तलाक को गैरजमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक को लाएगी। ये कानून सिर्फ तीन तलाक (इंस्टेंट तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा। इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को इस्टेंट तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।

बता दें कि इस ड्राफ्ट को मंत्रियों के समूह द्वारा तैयार किया गया है जिसका नेतृत्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। संसद के शीतकालीन सत्र में तीन तलाक पर कानून लाया जा सकता है। राज्यों से तत्काल इस ड्राफ्ट पर जवाब देने को कहा गया है।

मोदी सरकार तीन तलाक पर जो कानून लाने जा रही है उसमें इस बात के विशेष प्रावधान किए जाएंगे कि किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक- मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक अवैध होगा। इसके साथ ही जो भी व्?यक्ति तलाक देगा उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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