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गुजरात के बेटे का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी जनता : मोदी

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गांधीनगर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को खुद को गुजरात का बेटा बताकर विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि ‘गुजरात के लोग उन लोगों को नहीं छोड़ेंगे जिन्होंने गुजरात के उस बेटे का अपमान किया है जिसके राजनीतिक जीवन में कोई भी दाग नहीं है।’ कांग्रेस पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आप (विपक्षी) गुजरात आने की हिम्मत करते हैं और गुजरात के बेटे खिलाफ बोलते हैं? क्या कोई भी गुजराती, गुजरात के बेटे के खिलाफ आरोप लगाने वालों को माफ करेगा? कोई भी गुजराती इस अपमान को नहीं सहेगा। यह मेरी मां है और मैं इसका बेटा हूं भुज में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आप (लोगों ने) ने मुझे बेटे के रूप मे आगे बढ़ने में मदद की है।

आपने मुझे आकार देने में मदद दी है। आपने मुझे मजबूती दी है, गुजरात के लोगों व गुजरात मेरी मातृभूमि ने मेरे अंदर की अच्छाई को पाला-पोसा है।”मोदी सोमवार सुबह कच्छ पहुंचे और स्थानीय देवी मां अशपुरा के मंदिर में पूजा-अर्चना की। पूजा के बाद मोदी ने मंदिर परिसर में मौजूद महिलाओं और बच्चों से बातचीत की और लोगों से हाथ मिलाए इसी तरह का दृश्य कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात चुनाव अभियान के दौरान यहां देखा गया था। गृह राज्य में नरेंद्र मोदी का यह पहला राजनीतिक दौरा है और इसके बाद वह बुधवार को भी यहां रैली करेंगे। इससे पहले की सभी दौरों में वे प्रधानमंत्री के तौर पर परियोजनाओं को उद्घाटन करने यहां आए थे।

कांग्रेस के गढ़ अबडासा संसदीय क्षेत्र में स्थित माता नो माध मंदिर में दर्शन करने पहली बार कोई प्रधानमंत्री पहुंचा। यहां की एक चौथाई आबादी अल्पसंख्यक समुदाय से आती है। पार्टी को उम्मीद है कि मोदी के इस दौरे से इस बार भाजपा के पक्ष में बहुसंख्यकों का मत एकजुट हो सकता है। भुज के ललन कॉलेज मैदान में मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत स्थानीय कुची भाषा में की और कहा कि भाजपा केवल चुनाव के समय राजनीति में विश्वास नहीं करती बल्कि विकास पर विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि जब 2002 में उन्होंने कच्छ का दौरा किया था, उस समय भूकंप के कारण सब कुछ तबाह हो गया था और अब यहां विकास के बाद भूकंप से तबाही का कोई भी निशान नहीं है।

राहुल गांधी द्वारा गले लगाने की कूटनीति ‘हगप्लोमेसी’ पर किए गए कटाक्ष का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जब भारतीय सेना डोकलाम में चीनी सैनिक के साथ आंख से आंख मिला रही थे, तब आप (राहुल गांधी) चीन के राजदूत को गले लगा रहे थे। जब भारतीय सेना देश के लिए खड़ी थी, तब आप चीनी राजदूत को गले लगा रहे थे। किसके लिए? मैं आपसे प्रश्न पूछ रहा हूं।”उन्होंने लोगों को उरी हमले के बाद भारत द्वारा सीमा पार किए गए गए सर्जिकल स्ट्राइक को याद दिलाते हुए कहा, “मैं मोदी है। मैं सरदार पटेल की जन्म भूमि में पला-बढ़ा हूं..। जिन लोगों ने देश को लूटा है, उन्हें इसका हिसाब देना पड़ेगा।” मोदी ने पूछा, “मैंने एक कांग्रेस कार्यकर्ता से कांग्रेस के सभी अध्यक्ष के नाम लिखने के लिए कहा। जो लोग कांग्रेस नेताओं के नाम नहीं जानते, वह हमारे देश का कैसे विकास कर सकते हैं?” उन्होंने कहा, “कितनों को कामराज और देभरभाई (यू.एन देभर) याद हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के अध्क् थे। जो पार्टी एक परिवार से ज्यादा नहीं सोच सकती, आप उनसे क्या उम्मीद करेंगे?”मोदी ने विश्वास जताते हुए कहा कि भाजपा गुजरात में 182 विधानसभा सीट में 151 सीटों पर कब्जा करेगी।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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