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विश्व कप : यूएई ने जिम्बाब्वे को दिया 286 का बड़ा लक्ष्य

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नील्सन | संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने गुरुवार को सैक्स्टन ओवल मैदान पर हुए आईसीसी विश्व कप-2015 के आठवें मैच में जिम्बाब्वे के सामने जीत के लिए 286 रनों का लक्ष्य रखा है। टॉस हारकर बल्लेबाजी करने उतरे यूएई के बल्लेबाजों ने टीम की तरह प्रदर्शन किया और निर्धारित 50 ओवरों में शाइमान अनवर (67) के एकमात्र अर्धशतक के बावजूद सात विकेट पर 285 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा करने में सफल रहे।

शुरुआती 11 ओवरों तक जिम्बाब्वे का मैच पर कहीं अधिक नियंत्रण लग रहा था और यूएई को दो झटके दे चुका था। हालांकि दूसरे ओवर की पहली ही गेंद पर जिम्बाब्वे के अनुभवी विकेटकीपर ब्रेंडन टेलर, एंड्री बेरेंगर (22) का कैच टपका बैठे। कृष्ण चंद्रन ((34) और खुर्रम खान (45) के बीच तीसरे विकेट के लिए हुई 82 रनों की साझेदारी ने यूएई को जरूर स्थिरता प्रदान की। सोलोमन मायर ने 28वें ओवर की पही गेंद पर 122 के कुल योग पर इस साझेदारी को तोड़ा। चंद्रन 63 गेंदों में तीन चौके लगाने के बाद कप्तान एल्टन चिगुंबरा को कैच थमा पवेलियन लौटे। चंद्रन के जाने के थोड़ी ही देर बाद खुर्रम खान भी तेंदई चतारा का शिकार हो गए। खुर्रम का कैच सीन विलियम्स ने लपका। खुर्रम ने 43 वर्षीय खुर्रम ने थोड़ा खुलकर हाथ दिखाए और 55 गेंदों की अपनी पारी में छह चौके जड़े।

इसके बाद पांचवें विकेट के लिए एक बार फिर स्वप्निल पाटिल (32) और अनवर के बीच 82 रनों की अहम साझेदारी हुई, जिसकी बदौलत यूएई 200 का आंकड़ा पार कर गया। दोनों ही बल्लेबाजों ने शानदार अंदाज में खेलते हुए 7.13 के औसत से ये रन बटोरे। स्वप्निल का विकेट सीन विलियम्स ने 42वें ओवर की चौथी गेंद पर रेगिस चकाब्वा के हाथों कैच कराकर लिया। स्वप्निल के बाद बल्लेबाजी करने आए रोहन मुस्तफा (4) खास नहीं कर सके और जल्द ही पवेलियन लौट गए। अर्धशतक बनाकर अच्छी लय में खेल रहे अनवर का विकेट भी विलियम्स ने चटकाया। अनवर ने 50 गेंदों में नौ चौके और एक छक्का लगाया।

अनवर के बाद अमजद जावेद (नाबाद 25) और मोहम्मद नवीद (नाबाद 23) ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए आखिरी 35 गेंदों में 53 रन जोड़ डाले और यूएई को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा दिया। यूएई के सिर्फ दो बल्लेबाज दहाई से नीचे रहे और उनके कुल योग में जिम्बाब्वे द्वारा अतिरिक्त के रूप में लुटाए गए 26 रन भी शामिल हैं। जिम्बाब्वे के कप्तान चिगुंबरा ने आठ गेंदबाजों का इस्तेमाल किया, हालांकि सफलता सिर्फ चतारा, विलियम्स और मायर को मिली। चतारा ने तीन जबिक मायर और विलियम्स ने दो-दो विकेट चटकाए।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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