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नेशनल

एनआईए मृत आरएसएस नेता के घर पहुंची

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नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) की टीम ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता रविंद्र गोसाईं के लुधियाना स्थित घर और हत्या स्थल का दौरा किया। गोसाईं की पिछले माह हत्या कर दी गई थी। पुलिस महानिरीक्षक स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व वाला एनआईए का 12 सदस्यीय दल शुक्रवार शाम लुधियाना पहुंचा और शनिवार सुबह गोसाईं के घर का दौरे किया और उनके परिवार का बयान दर्ज किया।

सूत्रों के अनुसार, दल ने लुधियाना पुलिस आयुक्त आर.एन.ढोके और पुलिस उपायुक्त गगन अजित सिंह के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच दल से मुलाकात की। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी।

अधिकारी ने कहा, राज्य पुलिस ने मामले के संबंध में सभी जानकारी एनआईए के दल के साथ साझा की।

गृह मंत्रालय की ओर से गुरुवार को आदेश के बाद एनआईए ने इस मामले को पंजाब पुलिस से अपने हाथ में ले लिया था। पंजाब पुलिस ने इस हत्या के पीछे इंटर-सर्विस इंटिलिजेंस(आईएसआई) का हाथ बताया था।

एनआईए ने भारतीय दंड संहिता व हथियार अधिनियम की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत फिर से मामला दर्ज किया है।

गोसाईं(60) को 17 अक्टूबर को आरएसएस की सुबह की शाखा के बाद घर वापस लौटते वक्त गोली मार दी गई थी। उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी और हमलावर घटनास्थल से फरार हो गए थे।

गोसाईं ने कुछ वर्ष पहले कैंसर की वजह से अपनी पत्नी को खो दिया था। उनके चार बच्चे हैं।

पंजाब में दक्षिणपंथी और धार्मिक नेताओं पर हमले की यह ताजा कड़ी थी। वर्ष 2016 के बाद इस प्रकार की हत्या का यह आठवां मामला है।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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