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डोनाल्ड ट्रंप से मिले मोदी तो चीन के माथे पर पड़े बल

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मनीला |   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 31वें आसियान सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शिरकत की। दूरदर्शन ने ट्वीट कर एक वीडियो साझा किया, जिसमें मोदी को अन्य वैश्विक नेताओं के साथ मंच साझा करते हुए और हाथ मिलाते हुए देखा जा सकता है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की है। पिछले 6 महीनों में मोदी और ट्रंप की यह दूसरी मुलाकात है। इस मुलाकात पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुईं हैं, खासकर चीन की।
दोनों की मुलाकात से चीन के माथे पर बल पड़ गया है। हालांकि दोनों देशों के बीच में क्या बातचीत हुई अभी इसका खुलासा नहीं हो पाया है।

Manila: Prime Minister Narendra Modi and other Leaders at the opening ceremony 31th ASEAN Summit, in Manila, Philippines on Nov 13, 2017. (Photo: IANS/PIB)

इससे पूर्व दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों के संघ (आसियान) का 31वां शिखर सम्मेलन और इससे संबंधित बैठकें सोमवार से शुरू हो गईं। आसियान के 10 सदस्य देश और वार्ताकार सुरक्षा, सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण पर चर्चा करेंगे।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, आसियान के 2017 के अध्यक्ष देश फिलीपींस ने इस साल के सम्मेलन का विषय ‘पार्टनरशिप फॉर चेंज, एंगेजिंग द वर्ल्ड’ रखा है। इस बार सुरक्षा और क्षेत्रीय एकीकरण एजेंडे में सर्वोपरि हैं। फिलीपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते ने सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कहा कि अगले दो दिनों के दौरान आसियान देशों के नेताओं और उनके वार्ता साझेदारों के पास क्षेत्रीय एवं महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सर्वोत्तम अवसर होंगे। उन्होंने कहा, “आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ से क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को खतरा है क्योंकि इन चुनौतियों की कोई सीमाएं नहीं हैं।  उन्होंने यह भी कहा कि चोरी और समुद्र में डकैती से भी क्षेत्रीय एवं वैश्विक वाणिज्य के विकास में बाधा होती है।

दुतेर्ते ने कहा कि गैर पारंपरिक सुरक्षा मुद्दे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं की समृद्धि, हमारे संस्थानों की निष्ठा और इससे भी महत्वपूर्ण आसियान देशों के नागरिकों की सुरक्षा के लिए चुनौती हैं। दुतेर्ते ने क्षेत्रीय सहयोग पर कहा, “एशियाई देशों के साथ मिलकर काम करना शानदार रहा है और वार्ताकारों की मदद से एशियाई समुदाय को आगे ले जाने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आसियान सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शिरकत की। आसियान से संबंधित कई बैठकें सोमवार और मंगलवार को होंगी। इनमें आसियान प्लस वन सम्मेलन, आसियान प्लस थ्री (चीन, जापान और दक्षिण कोरिया) सम्मेलन और पूर्वी एशिया सम्मेलन शामिल हैं। आसियान की स्थापना 1967 में हुई थी। इस समूह में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम हैं।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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