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प्रादेशिक

योगी राज में बसपाई रंग में दिखेगी ट्रैफिक पुलिस

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लखनऊ। यूपी में ट्रैफिक पुलिस की वर्दी बदलने की एक बार फिर से ऐलान हो गया है। बता दें कि वर्दी का रंग रूप ठीक वैसा ही होगा जैसे पहले मायावती के समय में था। स्पष्ट है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के राज में ट्रैफिक पुलिसवाले अब नीले रंग में नजर आएंगे। उत्तर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह ने इस बारे में आदेश जारी कर दिया है।

एक दिसंबर से यूपी के सभी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्रेस में बदलाव किया जाएगा। बता दें कि अब खाकी पैंट की जगह ट्रैफिक पुलिसकर्मी गहरे नीले रंग की पैंट पहनेंगे। डीजीपी सुलखान सिंह ने बताया कि ये फैसला ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की अलग पहचान बनाने के लिए किया गया है। वैसे शर्ट का कलर पहले जैसा सफेद ही रहेगा।

उत्तर प्रदेश में ट्रैफिक पुलिस वाले पहले भी खाकी पैंट पहनते थे लेकिन जब वर्ष 2007 में मायावती सीएम बनीं तो उन्होंने ट्रैफिक पुलिस वालों को नीले रंग की पतलून पहनने के आदेश दिए। बता दें कि बसपा का झंडा भी नीले रंग का है। लेकिन जब अखिलेश यादव सीएम बने तो उन्होंने मायावती के फैसले को पलट दिया।

वैसे तो इन दिनों उत्तर प्रदेश में भगवा सरकारी रंग बनता दिख रहा है। यहां तक की सरकारी बसें, मुख्यमंत्री का सचिवालय इत्यादि भी भगवा रंग में रंग दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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