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कमल हासन राजनीति में उतरने को तैयार, बनायेंगे नई पार्टी!

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चेन्नई, | अभिनेता कमल हासन ने मंगलवार को संकेत दिया कि वह जनवरी तक अपने नए राजनीतिक दल के नाम की घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने साथ ही यह साफ करने का प्रयास किया है कि वह हिंदू विरोधी नहीं हैं और ना ही उन्होंने जानबूझकर उनकी भावनाओं को चोट पहुंचाई है। अपने 63वें जन्मदिन पर यहां संवाददाता सम्मेलन में कमल हासन ने ‘माइयमव्हिसल’ (केंद्र सीटी) और ‘ददीथीरेपॉम्वा’ (हमें खोजें और हल करें) जैसे कई लिंक के साथ ‘केएच’ नामक एक एप लॉन्च किया। यह लोगों के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा जिस पर वह कमल हासन के साथ बातचीत और शिकायत कर पाएंगे।

कमल हासन ने कहा, “मैं लोगों तक पहुंचने के लिए तमिलनाडु की यात्रा करने की योजना बना रहा हूं। यात्रा की तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी।”

संवाददाता सम्मेलन के शुरू में ही उन्होंने खुद ही अपने राजनीतिक दल की शुरुआत के मुद्दे पर कहा, “बहुत सारी तैयारियां की जा रही हैं। मैं विशेषज्ञों और दोस्तों से परामर्श कर रहा हूं और उचित समय आने पर इसकी घोषणा करूंगा।”

एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म के एक लिंक की तरह वह भी ‘ना ही लेफ्ट जाएंगे ना ही राइट।’

यह पूछे जाने पर कि हाल ही में उनके बयानों के कारण उन्हें हिंदू विरोधी के रूप में देखा जा रहा है, कमल ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि वह हिंदू चरमपंथ के बारे में बात कर रहे थे न कि हिंदू आतंकवाद के बारे में।

कमल ने कहा, “मैं हिंदुओं को दुख पहुंचाने के लिए पार्टी शुरू नहीं कर रहा हूं। मैं एक हिंदू परिवार से आता हूं और मैं अपने परिवार के स्नेह को कभी नहीं खोना चाहता। मैं हिंदुओं को दुख नहीं पहुंचाना चाहता, लेकिन जब गलतियां होंगी तब मैं आवाज उठाऊंगा।”

Actor Kamal Haasan. (File Photo: IANS)

कमल ने कहा, “मैं जब हिंसा पर बोलता हूं तब मैं सिर्फ वास्तविक स्थिति के बारे में बात करता हूं। किसी को भी ऐसी हिंसा में सम्मलित नहीं होना चाहिए। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों पर लागू होता है। जब मैं चरमपंथ कहता हूं तो इसका मतलब आतंक नहीं बल्कि हिंसा है।”

कुछ हिंदुत्ववादी तत्वों द्वारा उन्हें जाने से मारने की धमकी के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न पर कमल ने कहा, “मैं हमेशा केवल सच बोलता हूं। अगर इसके लिए दंड दिया जाता है तो मैं इसके लिए तैयार हूं।”

कमल ने कहा, “मेरे मित्र और रिश्तेदार हर समुदाय में हैं, हालांकि कुछ लोग मुझे हिंदू विरोधी कह रहे हैं। मैं ब्राह्मणों के मूल तत्वों से ऊपर उठ चुका हूं। यह एक खोज है। इसमें कोई गर्व या शर्म नहीं है। धर्म में आस्था रखने वाले मुझे नास्तिक कह रहे हैं लेकिन मैं एक तर्कवादी हूं।”

यह पूछने पर कि वह अपनी राजनीतिक योजनाओं के बारे में विस्तार से बताने की स्थिति में क्यों नहीं हैं, कमल हासन ने कहा, “आपको मुझे घोषणापत्र, एक नाम के साथ सामने आने के लिए समय देना होगा। मैं इसके संरचनात्मक भाग पर काम कर रहा हूं। मैं जल्दबाजी में नहीं हूं, जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है, मुझे आपके समर्थन की जरूरत है।”

एप के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका नाम अशोक चक्र से लिया गया है। यह एक धार्मिक चक्र है जोकि एक दुष्चक्र बन गया है। वह चाहते है कि लोग विसलब्लोअर बनें।

उन्होंने कहा, “कल मुझे शायद कुछ राजनीतिक जिम्मेदारी भी मिले, ऐसे में व्हिसल मेरे खिलाफ भी बजनी चाहिए। मुझसे भी प्रश्न किया जाना चाहिए।”

यह पूछे जाने पर कि वह अपने संगठन से दागी लोगों और धन को कैसे दूर रखेंगे, कमल ने कहा कि वह इस पर भी काम कर रहे हैं। कमल ने कहा कि यहां तक कि उनके फिल्मी करियर में कभी काला धन नहीं रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले से ही लोगों ने, खासकर गरीबों ने उनके प्रशंसकों के संघ को 30 करोड़ रुपये का योगदान दिया है जिसको ऑडिट किया जा चुका है।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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