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नेशनल

15 साल बाद अक्षरधाम आतंकी हमले का मुख्य आरोपी चढ़ा क्राइम ब्रांच के हत्थे

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नई दिल्ली। अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम को बड़ी कामयाबी हासिल हुई जब गुजरात के अक्षरधाम आतंकी हमले के मुख्य आरोपी को अहमदाबाद में पुलिस ने दबोच लिया है। क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के अनुसार अजमेरी अब्दुल राशिद नाम का आतंकवादी रियाद से वापस लौट रहा था तभी वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

करीब 15 साल से पुलिस को इसकी तलाश थी। बता दें कि साल 2002 में 24 सितम्बर को 2 आतंकियों ने हथियारों और ग्रेनेड के साथ गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हमला बोला था और जमकर गोलीबारी करते हुए 30 श्रद्धालुओं को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं इस हमले में 80 अन्य लोग घायल हुए थे। हमला इतना खतरनाक था कि आतंकियों को काबू करने के लिए हमले के एक दिन बाद ही एनएसजी के जवानों को ऑपरेशन के लिए उतारा गया जिसमें दोनों ही आतंकियों को ढेर किया गया था।

राशिद पर आतंकियों की मदद करने का आरोप है। राशिद हमले के आरोप में कोर्ट की ओर से बरी किए गए एक अन्य आरोपी का भाई बताया गया है। इस हमले के बाद पुलिस ने छह लोगों को पकड़ा भी था। हालांकि बाद में छह आरोपियों को कोर्ट से राहत मिल गई थी और बरी कर दिया गया था। हमले में शामिल आतंकी लश्कर और जैश जैसे संगठनों से थे। कुल मिलाकर गुजरात पुलिस के लिए यह बहुत बड़ी कामयाबी है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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