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राहुल गांधी ने किया ऐसा काम, गुणगान करते नहीं थक रहा निर्भया का परिवार

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नई दिल्ली। देश को हिला देने वाले निर्भया कांड का एक नया पहलू सामने आया है। खास बात यह है कि इसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्रत्यक्ष भूमिका है। दरअसल निर्भया का भाई अब इंडिगो कंपनी में पायलट बन गया है। निर्भया के परिवार ने बेटे की इस कामयाबी के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को तहे दिल से धन्यवाद किया है।

देश की राजधानी में वर्ष 2012 में निर्भया के साथ गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या की गई थी। उसने देशभर के अखबारों और टेलीविजन चैनल की सुर्खियां बटोरी थी। इस घटना के बाद बड़ी संख्या में लोग सडक़ पर उतर आए थे और कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। इस घटना को पांच साल हो गए लेकिन अब निर्भया का परिवार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का शुक्रगुजार है।

निर्भया की मां ने राहुल गांधी का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने हमारे परिवार पर बहुत बड़ा एहसान किया है। उनकी वजह से ही आज मेरा बेटा और निर्भया का भाई पायलट बन पाया। उन्होंने कहा कि निर्भया के साथ हुए हादसे के बाद पूरा परिवार टूट गया। हम अपनी मृतक बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए प्रयत्न कर रहे थे लेकिन उस समय भी हमारा बेटा अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत करता रहा।

जब निर्भया के साथ वह भीषण हादसा हुआ था, उस दौरान उसका भाई 12वीं क्लास में पढ़ता था। निर्भया की मां ने बताया कि राहुल गांधी ने न सिर्फ उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया बल्कि वह लगातार उसे फोन करके उत्साह बढ़ाते थे। निर्भया की मां ने कहा कि राहुल ने लगातार उसे सलाह दी और अपने लक्ष्य का पीछा करने को कहा। जब राहुल को पता लगा कि वह आर्मी ज्वाइन करना चाहता है तो उन्होंने उसे सलाह दी कि वह स्कूल खत्म होने के बाद पायलट की ट्रेनिंग करे।

प्रियंका गांधी ने भी किया प्रेरित
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद निर्भया के भाई ने रायबरेली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी में दाखिला लिया, जिसके बाद वह वहीं शिफ्ट हो गया। जिस वक्त निर्भया का भाई रायबरेली में पायलट ट्रेनिंग कर रहा था तो राहुल गांधी ने उससे फोन पर बात की और उससे कहा था कि कभी भी कोर्स को बीच में नहीं छोडऩा। ना सिर्फ राहुल गांधी बल्कि प्रियंका गांधी भी उसे फोन पर बात करके प्रेरित करती रहती थीं।

नेशनल

पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

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