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नेशनल

आप में अमानतुल्लाह का कमबैक, कुमार विश्वास आगबबूला

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास को बड़ा झटका देते हुए निलंबित विधायक अमानतुल्लाह खान को बहाल कर दिया है। आप नेता के साथ लगातार विवाद के चलते अमानतुल्लाह खान को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। पार्टी के इस फैसले के बाद विश्वास भडक़े हुए हैं।

पार्टी की जांच कमेटी ने निलंबित विधायक अमानतुल्लाह खान को बहाल कर दिया है। बता दें कि कुछ महीने पहले कुमार विश्वास के साथ लगातार विवाद के चलते अमानतुल्लाह खान को पार्टी से निलंबित कर तीन सदस्यीय कमेटी मामले की जांच के लिए बनाई गई थी।

सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी की सर्वोच्च इकाई पीएसी के ज्यादातर सदस्यों ने अमानतुल्लाह के निलंबन पर समिति की राय से सहमति दिखाई और बहुमत की राय पर कुमार पर अविश्वास दिखाने वाले विधायक अमानतुल्लाह का निलंबन रद्द हो गया लेकिन इस घटना से ज्यादा दिलचस्प है इस घटना का समय क्योंकि 2 नवंबर को ही आम आदमी पार्टी ने अपनी इस साल की प्रस्तावित पहली और पार्टी की पांचवीं नेशनल काउंसिल यानि राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई है।

दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने सोमवार को ट्वीट कर पार्टी में खान की वापसी का दावा किया। बता दें कि सीनियर आप नेता कुमार विश्वास को बीजेपी एजेंट बताने और पार्टी को तोडऩे की साजिश जैसे गंभीर आरोप लगाने के बाद अमानतुल्लाह को मई में पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया था। वह दिल्ली की ओखला से विधायक हैं और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी माने जाते हैं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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