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नेशनल

पत्रकार बनने का सपना देख रहे छात्र की निर्मम हत्या, 25 गोलियों से भून डाला शरीर

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नई दिल्ली। कहते है ‘कलम की ताकत को न कोई मिटा पाया है न कभी मिटा सकता है’। लेकिन बीते कुछ सालों से जिस तरह से दुनियाभर में पत्रकारों की हत्याओं का निर्मम मामला सामने आ रहा है उसे देखकर तो लगता है कि अब वो वक़्त आ गया है जब सरकार को संविधान के चौथे स्तम्भ कहलाए जाने वाले पत्रकारों की सुरक्षा पर खासतौर से विचार-विमर्श करना चाहिए।

पहले इन हत्यारों के निशानों पर तो सिर्फ पत्रकार हुआ करते थे लेकिन अब तो पत्रकारिता के छात्र भी नहीं महफूज रहे।

दरअसल, दिल्ली के भजनपुर में रविवार की रात को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरान करके रख दिया। यहाँ कुछ बाइक सवार अज्ञातो ने एक युवक पर अंधाधुध फायरिंग कर दी। मृतक युवक की पहचान आरिफ उर्फ हुसैन राजा (२३) के रूप में हुई। जोंकि डीयू से जर्नलिज्म की पढ़ाई कर रहा था।

ऐसा अनुमान है कि बदमाशों ने आरिफ पर 35 राउंड फायरिंग की। जिनमें से 30 गोलियां आरिफ को लगी।

आरिफ हुसैन मौजपुर में अपने भाई बहन मम्मी पापा के साथ रहता था। पढ़ाई के बाद कभी-कभी वो घर के जींस कारोबार में हाथ भी बंटा लेता था।

खबरों के मुताबिक़ आरिफ जब रात में 1 बजे किसी से फोन पर बात कर रहा था तभी अज्ञात बदमाश बाइक पर सवार होकर आए और फायरिंग शुरू कर दी।

घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को मौके पर से गोलियों के 26 खोखे मिले। जिससे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आरिफ के मरने के बाद भी बदमाश उसपर लगातार गोलियां चला जा रहे थे।

फिलहाल, आरिफ के माता-पिता ने बेटे आरिफ के किसी भी तरह के क्रिमिनल रिकॉर्ड होने की बात से इनकार किया है। वहीँ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की पूरी छानबीन करना शुरू कर दिया है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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