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आध्यात्म

बिहार में छठ की तैयारी, पहला अर्घ्य 26 अक्टूबर को

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पटना, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)| सूयरेपासना के पर्व छठ को लेकर बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के सभी क्षेत्रों में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।

पटना में गंगा के घाटों की मरम्मत और सफाई का कार्य लगभग पूरा हो गया है। सूर्य को पहला अघ्र्य 26 अक्टूबर को दिया जाएगा। पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने शनिवार को बताया कि फिलहाल गंगा के घाटों के एप्रोच (संपर्क) पथों को बनाने का कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि सभी घाटों में 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, अगले तीन दिनों में सफाई और रोशनी की व्यवस्था पूरी कर ली जाएगी। व्रतियों को कोई कष्ट नहीं हो, इसका ख्याल रखा जा रहा है।

अग्रवाल ने बताया कि महेंद्रू, कलेक्ट्रट और बांस घाट के एक साथ जुड़ जाने के कारण इस क्षेत्र में गंगा तट का एक जोन बनाया गया है। इस जोन तक पहुंचने के लिए छह संपर्क पथों का निर्माण कराया गया है। दो पथों पर लोग सिर्फ पैदल चल सकेंगे। शौचालयों का भी निर्माण कराया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि छठ के मौके पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के सभी छठ घाटों और तालाब, पोखरों जहां छठ पर्व मनाया जााता है, वहां गोताखोरों की तैनाती की जाएगी।

इस वर्ष सूयरेपासना का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ मंगलवार (24 अक्टूबर) से शुरू होगा। भगवान भास्कर को सायंकालीन अघ्र्य 26 अक्टूबर की शाम, जबकि 27 अक्टूबर की सुबह सूर्य देवता को प्रात:कालीन अघ्र्य प्रदान करने के साथ इस अनुष्ठान का समापन होगा।

आचार्य जयकुमार पाठक ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी बुधवार (25 अक्टूबर) को व्रती खरना करेंगे।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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