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हर्षिता की बहन ने किया चौंका देने वाला खुलासा, कहा- मेरे पति ने मरवाया, करता था उससे रेप

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चंडीगढ़| हरियाणवी गायिका व डांसर हर्षिता दहिया की हत्या को लेकर उनकी बहन ने मीडिया के सामने नया खुलासा सामने आया है। हर्षिता की बहन लता के मुताबिक, हर्षिता की मौत के पीछे उसके जीजा का ही हाथ है। लता ने इस हत्या के पीछे की वजह कहा कि उसने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि हर्षिता उनकी मां की हत्या की चश्मदीद गवाह थी।

लता का कहना है कि हर्षिता की हत्या उसके जीजा दिनेश ने की है। दिनेश लता का पति है और हर्षिता से रेप के आरोप में इनदिनों जेल में बंद है। दिनेश पर हर्षिता की मां की हत्या का भी आरोप है। उसने लता को भी धमकी दी थी।

हरियाणवी गायिका और डांसर हर्षिता दहिया की कुछ अज्ञात बदमाशों ने हरियाणा के पानीपत जिले में गोली मारकर हत्या कर दी। वह मंगलवार को एक गांव में कार्यक्रम पेश करने के बाद वापस आ रही थीं।

पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि हर्षिता पानीपत के इसराना ब्लॉक के चमरारा गांव से कार में वापस आ रही थीं, जिस दौरान उन्हें नजदीक से पांच-छह गोली मारी गई।

कार में उनके साथ तीन अन्य लोग भी थे, लेकिन बदमाशों ने उन्हें निशाना नहीं बनाया। हमलावर काले रंग की कार में थे। यह घटना शाम लगभग 4.30 बजे हुई। 22 वर्षीय हर्षिता सोनीपत जिले की रहने वाली थीं। उन्होंने हाल में एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है, लेकिन उन्हें इसका डर नहीं है।

उन्होंने इस बारे में पुलिस को बताया या नहीं, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। हर्षिता एक डांसर और हरियाणवी ‘रागिनी’ गायिका थीं। पुलिस ने कहा कि अपराधियों की तलाश की जा रही है।

बल्लभगढ़ की निशा ने बताया कि वह तीन दिन पहले ही फेसबुक के जरिये हर्षिता के संपर्क में आई थी। गुमड़ से संदीप ने बताया कि उसकी चार दिन पहले ही फेसबुक के जरिये ही उसकी हर्षिता से बातचीत हुई थी। हर्षिता ने उसे नहीं बताया था कि उसे जान का खतरा है।

हर्षिता पिछले डेढ़ साल में डांस और सिंगिंग से मशहूर हो गईं थीं। फेसबुक पेज पर वो अपने वीडियो भी अपलोड करती रहतीं थीं। मौत से पहले भी धमकी दिए जाने की बात भी उन्होंने फेसबुक पर अपलोड वीडियो में बताई थी।

डीएसपी क्राइम देशराज की मानें तो हर्षिता को फेसबुक पर जिस युवक ने धमकी दी है कि उसकी तस्वीर संदीप, निशा व प्रदीप को दिखाई है। तीनों ने बताया कि ये वह युवक नहीं है जिसने हर्षिता की हत्या की है। हर्षिता का मोबाइल फोन बंद था।  वहीं, धमकी पर हर्षिता दहिया ने कहा था कि मैं जाटनी हूं, किसी से नहीं डरती

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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