आध्यात्म
जानें क्यों दिवाली के दिन भूल से भी भूलकर नहीं करने चाहिए ये पांच काम
दीपावली का त्यौहार नजदीक आ रहा है। लोग काफी सरगर्मी के साथ इस पर्व के आने का इंतज़ार कर रहे है। खुशियों और रौशनी के इस त्यौहार को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये त्यौहार हिन्दू धर्म के साथ साथ कई और धर्मों के लिए भी आस्था का विषय है।
इस पर्व पर लक्ष्मी देवी की विशेष पूजा पाठ भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है की ये त्यौहार इंसान के जीवन में सुख समृधि लाता है। लेकिन आपको बता दें की कुछ ऐसे काम होते हैं जो दिवाली में नहीं करने चाहिए जिसके करने से देवता और हमारे पूर्वज क्रोधित होते हैं ।
- दिवाली के दिन मनुष्य को क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि महालक्ष्मी को क्रोध और लोभ जिस घर में होता है उस घर में नहीं जाती है इसीलिए मनुष्य को चाहिए कि दिवाली में वह अपने क्रोध को शांत रखें ।
- दिवाली के दिन हर कोई घर को स्वच्छ करता है और सारे दुख कलेश नेगेटिव एनर्जी बाहर चली जाती है।
- दीपावली के दिन कोई भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए नशा करने से मनुष्य को व्यापार में या फिर जॉब में बहुत बड़ा नुकसान होता है
- दीपावली के दिन सूर्य उदयहोने से पहले उठ जाना चाहिए और भगवान की पूजा करनी चाहिए
- दिवाली की शाम को किसी भी मनुष्य को सोना नहीं चाहिए सोने के वजह से घर के वातावरण में नरेंद्र आ जाती है जिससे क्रोध और लोभ होता है इसीलिए शाम के समय सोना नहीं चाहिए
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
-
नेशनल2 days ago
असम के नलबाड़ी में बोले पीएम, आज पूरे देश में मोदी की गारंटी चल रही है
-
नेशनल2 days ago
प्रियंका गांधी ने सहारनपुर में किया रोड शो, कहा- मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
अखिलेश के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेस में राहुल का वादा- ‘गरीब परिवार की एक महिला को 1 लाख रुपये सालाना देंगे’
-
आध्यात्म2 days ago
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
रामनवमी पर भगवान सूर्य ने किया रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’
-
नेशनल2 days ago
चुनावी व्यस्तता के बावजूद पीएम मोदी ने लाइव देखा रामलला के मस्तक पर हुआ सूर्य का अद्भुत तिलक
-
प्रादेशिक2 days ago
बड़ा खुलासा, सलमान के घर पर फायरिंग से पहले शूटर्स ने किया था ये काम
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
प्रयागराज: घर में इस हालत में मिले महिला और पुरुष सिपाही के शव, पुलिस जांच में जुटी