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मोदी बोले- जीएसटी से मिली राहत ने दिवाली का दिया तोहफा

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द्वारका| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि इस बार दिवाली जल्दी आ गई है, क्योंकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नियमों में कुछ राहत मिलने से छोटे और मझोले व्यापारियों को लाभ होगा। मोदी इस साल के अंत में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर द्वारका में चुनावी अंदाज में बोलते नजर आए। उन्होंने द्वारका और भेंट-द्वारका को जोड़ने वाले 900 करोड़ रुपये लागत वाले चार-लेन के लिंक सेतु की आधारशिला रखी।

दो दिवसीय गुजरात दौरे पर आए मोदी ने कहा, “आज, हर जगह यह कहा जा रहा है कि जीएसटी परिषद में लिए गए फैसलों के चलते (शुक्रवार को) दीवाली 15 दिन पहले आ गई है। मैं खुश हूं।”

मोदी ने कहा कि छोटे व्यापारियों, व्यापारियों और निर्यातकों के लिए जीएसटी प्रावधानों में ढील देने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर नए कर व्यवस्था के कामकाज की समीक्षा करने के वादे के अनुसार था।

उन्होंने कहा, “हमने कहा था कि हम कमियों सहित तीन महीनों के लिए जीएसटी से संबंधित सभी पहलुओं की समीक्षा करेंगे और इस प्रकार जीएसटी परिषद में आम सहमति से फैसला लिया गया है।”

उन्होंने केंद्र में रह चुकी पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सप्रंग) सरकार पर गुजरात में विकास कार्यों को रोकने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी और वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब राज्य को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।

प्रधानमंत्री ने कहा, “अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद मैं उन्हें (संप्रग सरकार) नींद से नहीं जगा सका।”

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ विकास को प्राथमिकता देना जारी रखेगी। उन्होंने अपने आलोचकों को खासकर सोशल मीडिया पर वायरल प्रचार ‘विकास उन्मादी हो गया है’ द्वारा उनकी सरकार की आलोचना करने वालों को निशाने पर लिया।

उन्होंने कहा, “यह पीढ़ी शायद गरीबी का सामना करे, लेकिन हम विकास को उन ऊंचाइयों पर ले जाएंगे कि आने वाली पीढ़ियों को गरीबी नहीं देखना पड़ेगा। दुनिया का ध्यान भारत की ओर आकर्षित हो रहा है, लोग यहां निवेश करने के लिए आ रहे हैं और यह भारत के लोगों के लिए अवसर पैदा करेगा।”

Dwarka: Prime Minister Narendra Modi addresses at a public meeting in Dwarka, Gujarat on Oct 7, 2017. (Photo: IANS/PIB)

प्रधानमंत्री ने द्वारका जिले के मोजक में देश के पहले और सबसे बड़े समुद्री पुलिस प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना करने की घोषणा की।

इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी का राज्य के तीन क्षेत्रों में पांच स्थानों पर विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं को लांच करने और छह सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करने का कार्यक्रम है।

मोदी रविवार को उत्तरी गुजरात में अपनी जन्मभूमि वडनगर में 500 करोड़ रुपये लागत से बने सिविल अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करेंगे।

यहां वह फिर से विकसित की गई शर्मिष्ठा झील को जनता को समर्पित करेंगे और वह वडनगर रेलवे स्टेशन, जहां वह कभी चाय बेचते थे, के सौंदर्यीकरण कार्य सहित कई सार्वजनिक कार्यो का उद्घाटन करेंगे।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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