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नेशनल

अब राष्ट्रपति के दरबार में पहुंचा बिहार का सियासी घमासान

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पटना| बिहार में मचा सियासी घमासान अब दिल्ली पहुंच गया है। जनता दल (यूनाइटेड) विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और बुधवार की शाम उनका राष्ट्रपति से मिलने का कार्यक्रम है। नीतीश ने कहा कि राज्यपाल के समक्ष बहुमत की सरकार बनाने का दावा पेश किए 48 घंटे से ज्यादा का समय गुजर गया है, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अब राष्ट्रपति से गुहार लगाई जाएगी।

जद (यू) का अंतर्कलह पटना से निकलकर दिल्ली पहुंच गया है। नीतीश के समर्थक विधायकों को ग्रेटर नोएडा के विभिन्न होटलों में ठहराया गया है। शाम को सभी विधायकों को बस से राष्ट्रपति भवन ले जाया जाएगा। इससे पहले इन सभी विधायकों को मंगलवार शाम विमान से दिल्ली ले जाया गया। दिल्ली जाने के क्रम में मंगलवार को पटना हवाई अड्डे पर नीतीश ने कहा, “राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किए 24 घंटे से ज्यादा का समय गुजर गया, लेकिन अब तक राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं लिया। राज्यपाल का विलंब माहौल प्रदूषित कर रहा है। अब विधायक राष्ट्रपति के पास जा रहे हैं।”

नीतीश कुमार के समर्थक 130 विधायकों में जद (यू) के 99, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान समय में 10 सीट रिक्त है। बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की आवश्यकता है। ऐसे में अब इंतजार है कि राष्ट्रपति से मुलाकात करने के बाद क्या होगा?

जद (यू) के महासचिव क़े सी़ त्यागी ने बताया कि राष्ट्रपति भवन से शाम सात बजे मिलने का समय मिला है। उन्होंने बताया कि नीतीश के साथ जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद भी राष्ट्रपति से मुलाकात करने राष्ट्रपति भवन जाएंगे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के भी साथ होने का अनुमान है।

इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक पटना में हुई, जिसमें बिहार की ताजा राजनीतिक घटनाओं पर चर्चा की गई। भाजपा सूत्रों के अनुसार, बैठक में अधिकतर नेता-विधायक मांझी को समर्थन देने के पक्ष में हैं। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थक भी जोड़तोड़ में जुटे हुए हैं। मांझी समर्थक विधायक खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन उनका कहना है कि विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। इस बीच मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बिहार मंत्रिपरिषद की बैठक में 23 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

उल्लेखनीय है कि नीतीश सोमवार को 130 विधायकों के साथ पैदल मार्च करते हुए राजभवन पहुंचे थे और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इधर, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी सोमवार को राज्यपाल से मिलकर बहुमत साबित करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री का पद छोड़ने से इंकार करने वाले मांझी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के लिए जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। मांझी को रविवार को ही पार्टी विधायकों की बैठक में जद (यू) विधायक दल के नेता पद से बर्खास्त कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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