नेशनल
उप्र : छेड़छाड़ मामले में विधायक का प्रतिनिधि फरार
बांदा, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में बांदा जिले की नरैनी सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक के प्रतिनिधि और उनके बेटे के खिलाफ नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़ और घर में घुसकर मारपीट के मामले में पीड़िताओं का अदालत में बयान दर्ज होने के बाद पिता और बेटे फरार हो गए हैं। मामले के विवेचक और नरैनी थाने में तैनात उपनिरीक्षक रामआसरे त्रिपाठी ने मंगलवार को बताया, विधायक प्रतिनिधि नंदकिशोर ब्रह्मचारी और उनका बेटा राहुल कई दिनों से फरार हैं। दोनों नामजदों की गिरफ्तारी के लिए संभावित जगहों पर दबिश दी जा रही है।
उन्होंने बताया, पीड़ित छात्राओं और उनके परिजनों के बयान संबंधित अदालत में सीआरपीसी की धारा-164 के तहत दर्ज कराए जा चुके हैं।
विवेचनाधिकारी ने बताया कि यदि गिरफ्तारी संभव नहीं हुई तो शीघ्र ही अदालत से कुर्की का आदेश हासिल किया जाएगा।
विवेचक ने माना कि गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पर ब्राह्मण समाज का जबरदस्त दबाव है।
इस मामले में लामबंद हो चुके ब्राह्मण समाज का मानना है कि भाजपा नेतृत्व पीड़िताओं की वाजिब मदद नहीं कर रहा और न ही विधायक पर आरोपी को प्रतिनिधि पद से हटाने का दबाव बना रहा है, जिससे विधायक के दबाव में पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश में लगी है।
ब्राह्मण समाज के नेता रामसेवक शुक्ला का आरोप है, नरैनी पुलिस भाजपा विधायक के दबाव में आकर मामले में पुलिस अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगाने का तानाबाना बुन रही है।
उन्होंने पुलिस को चेतावनी दी कि समूचे जिले के ब्राह्मण आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी न होने पर पुलिस अधीक्षक और डीआईजी का घेराव करेंगे।
बुदेलखंड में इस समय महिलाओं की लड़ाई लड़ने में आगे ‘नारी इंसाफ सेना’ ने भी मामले में वांछितों की गिरफ्तारी की मांग उठाई है।
इस संगठन की अध्यक्ष वर्षा भारतीय ने जारी बयान में कहा कि विधायक का प्रतिनिधि मासूमों से छेड़छाड़ करता है और विधायक चुप्पी साधे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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