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प्रादेशिक

दिवाली पर अयोध्या में सीएम योगी आदित्यनाथ, खास कार्यक्रम की तैयारी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी छोटी दिवाली राम नगरी अयोध्या में मनाएंगे। 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के अलावा राज्यपाल राम नाईक सहित कई मंत्री अयोध्या में मौजूद रहेंगे। इस बात की पुष्टि पर्यटन तथा सूचना विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने की है।

रावण के वध के बाद भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण सहित जब अयोध्या लौटे थे तो सरयू नदी के तट से होकर गए थे। इस उपलक्ष्य में अयोध्यावासियों ने सरयू के तट पर दीप जलाए थे। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी उसी रीति को दोहराएंगे। इसलिए 18 अक्टूबर की शाम को सरयू तट को हजारों दीपों से रोशन किया जाएगा।

पर्यटन तथा सूचना विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया, “अयोध्या में प्रस्तावित कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश में अब धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। अयोध्या में कनक भवन, हनुमान गढ़ी सहित भगवान राम से जुड़े तमाम पौराणिक स्थल रोशन किए जाएंगे। वहां राम कथा से जुड़ी हुई नृत्य नाटिकाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।”

अवस्थी ने कहा कि इस काम में अयोध्या के साधु संतों और महंतों को भी शामिल किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अयोध्या और दूसरे धर्म स्थानों के लिए कुछ योजना भी लांच करेंगे, जिसमें तीर्थ स्थानों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी हो सकती है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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