आध्यात्म
नवरात्र के इस आठवें दिन मां गौरी की ऐसे करें आराधना, जानें उचित विधियां
आज नवरात्र का आठंवा दिन है।आज के ही दिन मां गौरी के रूप की साधना की जाती है। बहुत से लोग मां गौरी की पूजा को लेकर भ्रमित रहते है क्योंकि वे लोग पूजा और आराधना की उचित विधियों को नहीं समझ पाते है।
इसीलिए आज हम आपके लिए पूजा की कुछ ऐसी विधियां लेकर आए है। जिसे अगर आप अपने घर के मन्दिर में अपनाएगें तो बेशक ही माँ गौरी आपके प्रयासों से प्रसन्नचित हो जाएंगी।
ऐसे करें माँ की साधना-
सबसे पहले तो आप सामान्य पूजा करें उसके बाद मां गौरी की साधना करें. मां गौरी की पूजा पूरे भाव और श्रद्धा से की जाए तो बहुत लाभदायी फल मिलते है। महागौरी की चार भुजाएं होती है।
इनका वाहन का नाम वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है।
ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। मां गौरी की साधना विशेष समय पर की जाती है।
मां गौरी की साधना रात में की जाती है। दिन के समय मां गौरी की मूर्ति या चित्र के आगे एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करें।
इस दौरान आप सफेद रंग के वस्त्र पहनेंगे तो बहुत अच्छा होगा। किसी विशेष पीड़ा से परेशान लोगों को दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए।
इससे आपकी परेशानियों में कमी आएगी। इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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