प्रादेशिक
भाजपाई अब भी मनाएंगे जश्न, अमित शाह के बेटे की शादी आज
नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव में भाजपा को जबरदस्त झटके के बावजूद भाजपाई 10 फरवरी को जश्न मनाते नजर आएंगे। आम तौर पर करारी हार के बाद राजनीतिक पार्टियों के दफ्तर में सन्नाटा पसर जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। दरअसल इसकी पीछे वजह यह है कि 10 फरवरी को ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय की अहमदाबाद में शादी तय है।
शाह के पुत्र की शादी की रिसेप्शन पार्टी 15 फरवरी को दिल्ली में दी जाएगी। 10 फरवरी को विवाह समारोह में शामिल होने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज भी जाएंगे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शादी में शामिल होंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं है। इनके अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और अन्य मशहूर उद्योगपति भी नव-दंपति को आर्शीवाद देने के लिए रहेंगे।
शाह की होने वाली बहू का नाम हर्षिता है। उनके पिता गुणवंत पटेल जाने-माने बिल्डर हैं। विवाह समारोह का आयोजन अहमदाबाद के वाईएमसीए क्लब में होगा। अमित शाह खुद भले दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ राजनीतिक दौरों में व्यस्त थे लेकिन उनके करीबी मित्रों ने शादी के सारे इंतजाम किए हैं। जय और हर्षिता कालेज में साथ-साथ पढ़ते थे।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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