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नेशनल

प्रद्युम्न हत्याकांड : पिंटो परिवार की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ी

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नई दिल्ली, 20 सितम्बर (आईएएनएस)| पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुग्राम स्थित रायन स्कूल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के मामले में स्कूल के मालिक पिंटो परिवार की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, यह मामला सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है और विस्तार से सुनवाई के लिए सभी पक्षों को नोटिस भेजा गया है। यह जानकारी मृत छात्र के पिता वरुण चंद्र ठाकुर के वकील सुशील के. टेकरीवाल ने दी।

प्रद्युम्न की आठ सितम्बर को रायन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी गई थी।

इससे पहले बम्बई उच्च न्यायालय ने आगस्टाइन एफ. पिंटो, ग्रेस पिंटो और रेयान पिंटो की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

इस मामले में कानूनी सहायता प्रदान कर रहे सामाजिक संगठन मिथिलालोक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. बीरबल झा ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।

डॉ. झा ने कहा कि शिक्षा के मंदिर में बच्चे की गला काटकर हत्या कर देने की घटना से पूरा देश स्तब्ध है, इसलिए यह मामला केवल एक बच्चे तक सीमित नहीं है। यह चिंता देश के निर्माण के लिए स्कूलों में जाने वाले करोड़ों बच्चों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में है।

संस्था ने प्रद्युम्न को न्याय दिलाने के लिए स्कूलों में एक अभियान शुरू किया है। मिथिलालोक ने देशभर के सभी माता-पिता से बच्चों की सुरक्षा व उचित शिक्षण के लिए इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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