प्रादेशिक
देश में बदलाव के लिए युवा निभाएं सामाजिक दायित्व : आनंद
मुंबई| आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित संस्थान ‘सुपर 30’ के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि अगर देश में वास्तविक बदलाव लाना है तो युवाओं को सामाजिक कार्य को एक मिशन की तरह लेना होगा।
उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ युवाओं को सामाजिक दायित्व भी निभाना होगा, तभी देश में बदलाव आ सकता है।मुंबई के टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के सभागार में शनिवार को छात्रों एवं शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए ‘सुपर 30’ के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि समावेशी शिक्षा समाज में सामाजिक न्याय को सुनिश्चित रूप से आगे बढ़ाने का एकमात्र रास्ता है और इसके लिए समाज के युवाओं को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीबी के कारण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय नहीं जा पाने के अनुभव को उन्होंने इस मिशन से जोड़ा और उसी का परिणाम ‘सुपर 30’ सभी के सामने है। छात्रों से भरे सभागार में उन्होंने ‘सुपर 30’ के कई छात्रों का उदाहरण भी पेश किया।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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