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बिजनेस

रघुराम राजन फिर बन सकते हैं रिजर्व बैंक के गवर्नर!

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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर आरबीआई गवर्नर बनने की इच्छा जाहिर की है। राजन ने कहा कि वह काम करने के लिए तैयार थे, उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि उनका समय खत्म हो गया था।

हालांकि राजन ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार के आर्थिक फैसलों पर सवाल उठाया है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक रघुराम राजन ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ नहीं ‘मेक फॉर इंडिया’ भी हो। राजन ने कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। आरबीआई को नोटबंदी का भार झेलना पड़ा। नए नोट प्रिंट करने का भार इस योजनाओं के फायदे पर भारी पड़ा।

राजन ने यह भी कहा कि सरकार को नोटबंदी की चुनौतियों के बारे में पहले ही जानकारी दी गई थी और उनकी बात सच निकली। राजन ने रोजगार घटने पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर करती है लेकिन न ही निवेश हो रहा है और न ही रोजगार पैदा हो रहा है। यह समस्या की बात है।

आरबीआई गवर्नर पद छोडऩे को लेकर राजन ने कहा कि शिकागो यूनिवर्सिटी मेरी छुट्टी बढ़ाने को तैयार थी लेकिन मुझे सरकार की तरफ से मेरा कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं आया जिसके बाद मुझे शिकागो वापस जाना पड़ा।

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मुंबई बना एशिया के अरबपतियों की राजधानी, बीजिंग को पीछे छोड़ा

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मुंबई। मुंबई में अरबपतियों की संख्या बीजिंग से अधिक हो गई है। हुरुन रिसर्च की 2024 ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार, मुंबई में 92 अरबपति हैं, जबकि बीजिंग में 91 अरबपति हैं। हालांकि चीन में भारत के 271 की तुलना में कुल मिलाकर 814 अरबपति हैं। ग्लोबल लेवल पर, मुंबई अब न्यूयॉर्क के बाद अरबपतियों के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, न्यूयार्क में अरबपतियों की संख्या 119 है। लिस्ट के मुताबिक, सात साल बाद लंदन 97 के साथ दूसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “मुंबई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों की राजधानी है, इस साल इसमें 26 अरबपति शामिल हुए और यह दुनिया में तीसरा व एशिया में अरबपतियों की राजधानी बन गया है। नई दिल्ली पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुई।” भारत की आर्थिक शक्ति उसकी अरबपति आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि से और भी अधिक रेखांकित हुई। देश में आश्चर्यजनक रूप से 94 नए अरबपति जुड़े, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर यहां 271 अरबपति हो गए। यह उछाल 2013 के बाद से सबसे ज्‍यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते आत्मविश्‍वास का प्रमाण है।

2024 हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपतियों की संचयी संपत्ति चीन की प्रति अरबपति औसत संपत्ति (3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बनाम 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) को पार करते हुए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग के लिहाज से फार्मास्युटिकल क्षेत्र 39 अरबपतियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग (27) और रसायन क्षेत्र (24) का स्थान है। सामूहिक रूप से भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 1 खरब डॉलर के बराबर है, जो वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7 फीसदी है, जो देश के पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।

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