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प्रादेशिक

आगरा में स्वाइन फ्लू के 6 संदिग्ध मामले

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आगरा| ताजनगरी आगरा में गुरुवार को स्वाइन फ्लू के छह संदिग्ध मामले सामने आए हैं। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पिछले कुछ माह में राज्य में स्वाइन फ्लू के 60 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इनमें से चार पीड़ितों की मौत हो चुकी है।

ताजा मामलों में एस.एन. चिकित्सा महाविद्यालय के जूनियर चिकित्सक में एच1एन1 के लक्षण दिखाई दिए जिसके बाद गुरुवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसके रक्त के नमूनों को जांच के लिए दिल्ली भेजा गया।

एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया, “सभी छह नमूनों को जांच के लिए दिल्ली भेज दिया गया है।”

मुख्य चिकित्सा अधिकारी एच.एस. धनु ने अस्पताल का दौरा किया और स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों के लिए किए गए इंतजामों का जायजा लिया।

हालांकि, आगरा के चिकित्सकों को धैर्य रखने की सलाह दी गई है और कहा गया है कि जुकाम और तेज बुखार के हर मामले को स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मामले के रूप में नहीं देखें।

शहर के एक होम्योपैथ चिकित्सक कैलाश सारस्वत ने कहा, “जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, स्वाइन फ्लू का वायरस स्वत: नियंत्रित हो जाएगा।”

स्वास्थ्य कार्यकर्ता आनंद राय ने कहा कि चूंकि आगरा एक पर्यटन स्थल है, इसीलिए यहां पर आने वाले पर्यटकों की बारीकी से निगरानी रखनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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