प्रादेशिक
लैंडफिल साइट पर दो मौत के बाद टूटी सियासी नींद, ताबड़तोड़ फैसले लिए गए
नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में अपशिष्ट भराव क्षेत्र (लैंडफिल साइट) के एक हिस्से के ढहने से दो लोगों की मौत के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने शनिवार को इस साइट पर कूड़ा जमा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बैजल ने शुक्रवार की दुर्घटना के मद्देनजर कदम उठाए जाने को लेकर आपातकालीन बैठक बुलाई और गाजीपुर के लैंडफिल साइट पर कूड़ा जमा करने पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए। बैजल ने दो वर्ष के भीतर इस लैंडफिल साइट को साफ करने के भी आदेश दिए।
उपराज्यपाल की ओर से जारी एक प्रेस बयान के अनुसार, “उपराज्यपाल ने गाजीपुर लैंडफिल साइट में किसी भी प्रकार का ठोस कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगाया है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम अन्य वैकल्पिक साइट पर कचरे को यहां से स्थानांतरित करेगा।”
बयान के अनुसार, सुरक्षा कारणों से आसपास के सडक़ों से तत्काल प्रभाव से यातायात मार्ग बदल दिया गया है और ट्रैफिक पुलिस को वाहनों की सही तरीके से आवाजाही के लिए क्षेत्र में तैनात किया गया है। लोगों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी गई है।
बैठक में पूर्व दिल्ली नगर निगम के आयुक्त, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के जनरल मैनेजर, डीडीए के मुख्य आयुक्त, लैंडफिल साइट के विशेषज्ञ एवं संबंधित अधिकारी शामिल थे।
एनएचएआई भी सडक़ों में इस्तेमाल होने वाले कूड़े को उठाने का काम नवंबर से शुरू कर देगा। उल्लेखनीय है कि गाजीपुर में शुक्रवार को दोपहर बाद अपशिष्ट भराव क्षेत्र में कूड़े के एक बड़े हिस्से के ढहने से दो महिलाओं की मौत हो गई थी। वहीं कूड़ा ढहने से एक कार और एक दोपहिया वाहन चालक समेत पास के कोंडली नहर में बह गए थे।
गाजीपुर लैंडफिल साइट राष्ट्रीय राजधानी के चार लैंडफिल साइटों में से एक है। यहां लगातार कूड़ा डाले जाने की वजह से इसकी ऊंचाई 50 मीटर यानी किसी 15 मंजिली इमारत के बराबर हो गई थी।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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