नेशनल
जस्टिस दीपक मिश्रा ने ली सीजेआई पद की शपथ, याकूब को सुनाई थी सजा
नई दिल्ली। न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।
दीपक मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर का स्थान लिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कार्यकाल 13 महीने और छह दिनों का होगा। उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर 2018 तक रहेगा।
जस्टिस दीपक मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था। 14 फरवरी 1977 में उन्होंने उड़ीसा हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। 1996 में उन्हें उड़ीसा हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया और बाद में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट उनका ट्रांसफर किया गया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले वह ओडिशा की तीसरे जज हैं। उनसे पहले ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और जीबी पटनायक भी इस पद को संभाल चुके हैं।
बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा को याकूब मेमन पर दिए गए फैसले पर काफी सुर्खियां मिली थीं। मेमन को फांसी दिए जाने के मामले के बाद से जस्टिस दीपक मिश्रा और इस फैसले में साथ रहे उनके दो साथियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाने पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा को एक धमकी भरा खत मिला था।
सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का आदेश और दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों को मौत की सजा देने का चर्चित आदेश जस्टिस मिश्रा ने ही दिया था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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