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आध्यात्म

क्या पूजा में ख़राब नारियल निकलना अशुभ संकेत है, जाने विद्वानों की राय

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जाने खराब नारियल किस चीज का है प्रतीक शुभ या अशुभ?

अक्सर हमने बडे-बुजुर्गों को पूजा के दौरान यह कहते सुना है कि पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज साफ़ सुथरी होनी चाहिए यह तक की प्रसाद के तौर पर चढ़ने वाला नारियल भी।  हमारे साथ कई बार ऐसा होता है कि मंदिर में या पूजा के लिए घर में चढ़ाए जाने वाला नारियल खराब निकल जाता है। उसे देखेत ही हमारे अंदर डर की  भावना जागने लगती है। हमें लगता है कि ये सब ठीक नहीं हुआ लेकिन आज हम आपको ऐसी जानकारी दे रहे हैं कि आप उस खराब नारियल को देखकर खुश हो जाएंगे।

अगर विद्वानों की मानें तो पूजा में चढ़ाया गया नारियल अगर खराब निकलता है तो वह आपके लिए शुभ संकेत है। इसका मतलब कभी भी किसी भी तरह का अशुभ संकेत नहीं होता है। विद्वानों पंडितों का मानना है कि यह ईश्वर का संकेत है कि उन्होंने पूजा ग्रहण कर ली है और साथ में आपका चढ़ाया प्रसाद भी स्वीकार कर लिया है।

अब अगर आगे से आपके साथ भी कभी ऐसा हो तो इस बात का बिल्कुल भी बुरा ना मानें और खुद को परेशान न करें।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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