नेशनल
पहली बार बीजेपी और कांग्रेस ने लगाया एक जैसा सुर कहा, ‘नए युग की है ये शुरुआत’
नई दिल्ली। बीते कुछ वर्षों में शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा जब बीजेपी और उनके विपक्षी दल कांग्रेस ने किसी मसले पर एक जैसी राय रखी होगी। लेकिन तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस फैसले पर एक जैसा बयान देकर संतुष्ट हामी भर दी है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय, मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत है। यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की विजय है। दुनिया के दूसरे देशों में भी अब तीन तलाक का कानून अब अस्तित्व में नहीं है। कोर्ट ने यह फैसला सुनाकर करोड़ो मुस्लिम महिलाओं को समानता और आत्मसम्मान के साथ जीने का अधिकार दे दिया है।
बाहुबली शाह ने कहा, ‘अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही सभी पीड़ित महिलाओं के हक में आए इस फैसले का मैं स्वागत करता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं।’ उन्होंने मोदी सरकार द्वारा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष को विवेकपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीके से सर्वोच्च अदालत के सामने रखने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा मुस्लिम महिलाओं को मिले अधिकारों एवं सम्मान का स्वागत करती है तथा इसे ‘न्यू-इंडिया’ की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखती है।’
वहीँ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक के फैसले को सराहा उन्होंने कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक पर दिए गए आदेश का स्वागत करते हैं। केंद्र सरकार से अनुरोध है कि इस संबंध में जल्द से जल्द कानून पारित किया जाए।”
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “तीन तलाक जैसी प्रथाएं हमारी बहनों, बेटियों के लिए मानसिक व सामाजिक प्रताड़ना के समान हैं एवं आधुनिक भारतीय समाज के विकास में भी बाधक हैं।”
क्या कहा कोर्ट ने
- एक साथ तीन तलाक असंवैधानिक। सुप्रीम कोर्ट ने तीन – दो के बहुमत से सुनाया फ़ैसला।
- तीन तलाक पर 6 महीने की रोक।
- मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने कहा ये 1400 साल पुरानी प्रथा और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा। कोर्ट नहीं कर सकता रद।
- जस्टिस कुरियन जोसेफ़, जस्टिस आरएएफ़ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने एक बार मे तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया और इसे खारिज कर दिया।
- तीनों जजों ने 3 तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।
- जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस खेहर ने नहीं माना था असंवैधानिक। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है, इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। दोनों ने कहा कि तीन तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया जाना चाहिए, इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा। हालांकि, दोनों जजों ने माना कि यह पाप है।
- अगर 6 महीने के अंदर तीन तलाक पर कानून नहीं लाया जाता है तो तीन तलाक पर रोक जारी रहेगी।
बता दें कि इस मामले की शुरुआत उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में की थी उन्होने निकाह हलाला और और तीन तलाक के खिलाफ खड़े होकर देश की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।। फैसले से पहले तीन तलाक की पीड़िता और याचिकाकर्ता शायरा बानो ने कहा कि मुझे लगता है कि फैसला मेरे पक्ष में आएगा। एक नया कानून जरुर बनेगा
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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