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प्रादेशिक

रेप पीड़िता 10 साल की बच्ची बनी मां, मामा ने किया था दुष्कर्म

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नई दिल्ली। आज समाज में नैतिकता का स्तर दिन ब दिन गिरता चला जा रहा है। आए दिन हमें ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं जिसके बाद हमारा इंसानियत पर से भरोसा उठने लगता है। हाल ही में एक ऐसी ही घटना चंडीगढ़ से सामने आई थी जहां एक कलयुगी मामा ने अपनी 10 साल की भतीजी को प्रेग्नेंट कर दिया था। अब उसी बच्ची ने एक बच्ची को जन्म दिया है।

दरअसल, जब बच्ची के प्रेग्नेंट होने का खुलासा हुआ तो काफी देर हो चुकी थी। गर्भ 32 हफ्ते का हो चुका था। पीड़िता के माता-पिता बेटी का अबॉर्शन करवाना चाहते थे, लेकिन कानून के मुताबिक़ ऐसा संभव नहीं था। पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया लेकिन कोर्ट ने भी बच्ची के अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी। कोर्ट का कहना था ऐसा करने से बच्ची के जीवन को ख़तरा हो सकता है, जिसके बाद अब बच्ची ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया है।

चंडीगढ़ के सेक्टर 32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल और पीजीआई के डॉक्टरों के एक पैनल के निर्णय के बाद आज बच्ची की डिलिवरी करवाई गई। पहले बच्ची की डिलिवरी सोमवार को होनी थी, लेकिन बच्ची की तबियत ठीक नहीं थी जिस वजह से डाक्टरों ने आपरेशन को टाल दिया था।

इस मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। बच्ची को खुद उसका मामा ही अपनी हवस का शिकार बनाता रहा। बच्ची के पिता एक सरकारी कर्मचारी है जबकि उसकी मां घरेलू कामकाज करती हैं। 10 वर्षीय बच्चे के गर्भवती होने पर खुद डॉक्टर हैरान रह गए थे। बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा था कि उन्होंने इससे पहले कभी ऐसा मामला नहीं देखा, जिसमें इतनी कम उम्र में कोई बच्ची गर्भवती हुई हो। डॉक्टर उमेश जिंदल ने बताया कि उन्होंने जिंदगी में कभी इस तरह का मामला नहीं देखा। मैंने 13 साल की गर्भवती देखी है लेकिन ये पहला मामला है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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