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आध्यात्म

वृंदावन में जेकेपी ने 6000 छात्र-छात्राओं में बांटीं शिक्षण सामग्री  

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जगद्गुरु कृपालु परिषत् ,जेकेपी, वृन्दावन, मथुरा

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मथुरा। जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) ने आज गुरुवार को वृन्दावन और आस-पास के 50 शिक्षण संस्थाओं के लगभग 6000 छात्र-छात्राओं में शिक्षण सामग्री वितरित कीं।

वृन्दावन के प्रेम मन्दिर में आयोजित समारोह में जेकेपी परिषत् की अध्यक्षों ने छात्र-छात्राओं में विशेष रूप से एक बैग, 4 बड़ी नोटबुक, 4 छोटी नोटबुक, लंच बॉक्स, पानी की बोतल, चार पैन, चार पैन्सिल, रबर, स्केल, शार्पनर आदि का वितरण किया।

आपको बता दें कि समाज सेवा के लिए जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की ओर से जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) नामक संस्‍था की स्‍थापना की गई थी। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का नाम आज सम्पूर्ण विश्व में तेज पुंज की भाँति प्रकाशमान हो रहा है।

जेकेपी संस्था चिकित्सा, नारी शिक्षा, निर्धन सहायता आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर समाज सेवा के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान अदा कर रहा है।

श्री महाराज जी की तीनों सुपुत्रियाँ, जो जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्ष हैं–डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी  उनके परोपकार आदि के कार्यों को आगे बढ़ा रही हैं।

तीनों अध्यक्षों के नेतृत्व में परिषत् की ओर से प्रति वर्ष अनेक प्रकार के लोकोपकारी और समाज सेवा के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किये जाते हैं।

इसी क्रम में गुरुवार 10 अगस्त 2017 को वृन्दावन एवं उसके आस-पास चल रही 50 शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत लगभग 6000 छात्र-छात्राओं को प्रेम मन्दिर, वृन्दावन में आमन्त्रित किया गया।

परिषत् की अध्यक्षों ने उन सभी छात्र-छात्राओं को अध्ययन से सम्बन्धित सामग्री प्रदान की। इनमें विशेष रूप से एक बैग, 4 बड़ी नोटबुक, 4 छोटी नोटबुक, लंच बॉक्स, पानी की बोतल, चार पैन, चार पैन्सिल, रबर, स्केल, शार्पनर आदि दिये गये।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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