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आध्यात्म

पाग कांवरिया 5 अगस्त को दिल्ली से देवघर जाएगा

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)| दिल्ली से पांच अगस्त को 500 शिवभक्तों का जत्था पाग कांवरिया बनकर देवघर के लिए रवाना होगा। मिथिलालोक फाउंडेशन के तत्वावधान में ये पाग कांवरिया दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन से अपने सिर पर मिथिला की सांस्कृतिक प्रतीक चिह्न पाग पहनकर सुल्तानगंज के लिए रवाना होंगे। सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए बाबा भोलेनाथ के दरबार पाग कांवरिया पहुंचेगा और ज्योर्तिलग पर गंगाजल अर्पित करेगा।

मिथिलालोक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. बीरबल झा ने कहा, मिथिला के लोग शैव अर्थात शिव उपासक होते है। मिथिला के महाकवि विद्यापति की शिव आराधना व तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ‘उगना’ के रूप में मिथिला में आए थे। आज भी मधुबनी में उगना मंदिर अवस्थित है। चूंकि पाग मिथिला की सांस्कृतिक पहचान चिह्न है। पाग कांवरिया को देखते ही भोले बाबा अपने मैथिल भक्तों को पहचान जाएंगे और मिथिला के उत्थान के लिए आशीर्वचन देंगे।

डॉ. झा द्वारा लिखित गीत पाग कांवरिया आज-कल सोशल मीडिया पर काफी वायरल है। इस गीत को मिथिला के युवा गायक विकास झा ने गाया है।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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