नेशनल
एसी खराब होने से परेशान रेल यात्री को 12 हजार का मुआवजा देने का आदेश
बेंगलुरु। कर्नाटक के राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन में एसी खराब होने से हुई परेशानी के लिए रेलवे को 58 वर्षीय यात्री को 12 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
साउथ वेस्टर्न रेलवे को 10 हजार का मुआवजा और 2 हजार रुपये टिकट के रिफंड के तौर पर यात्री को देने का आदेश दिया है। यात्री का आरोप है कि इस दौरान ट्रेन में एसी के काम नहीं करने की वजह से उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
9 मार्च 2009 को मैसूर निवासी डॉ. शेखर एस टीपू सुपरफास्ट एक्सप्रेस से बेंगलुरु से मैसूर जा रहे थे। तीन घंटे की यात्रा में एसी में खराबी की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
शिकायत दर्ज कराने के बाद रेलवे ने मेकैनिक एसी ठीक करने के लिए भेजा था, लेकिन वह एसी ठीक करने में सफल नहीं हो सका। इसी वजह से शेखर को पूरी यात्रा बिना एसी के ही करनी पड़ी थी।
रेलवे का मामले पर कहना था कि इस ट्रेन में शुरुआत में एसी ठीक काम कर रहा था, लेकिन बेंगलुरु पहुंचने के बाद इसमें कुछ खराबी आ गई थी। इतने कम समय में इसे ठीक करना संभव नहीं था।
कन्ज्यूमर फोरम ने यात्री की उम्र और उसे हुई परेशानी के देखते हुए यह फैसला सुनाया है। इससे पहले शेखर इस मामले को लेकर जिला उपभोक्ता अदालत भी गए थे। रेलवे को यह धनराशि 4 सप्ताह के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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