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नेशनल

केरल : कांग्रेस विधायक विंसेंट पार्टी सचिव पद से निलंबित

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तिरुवनंतपुरम, 23 जुलाई (आईएएनएस)| एक महिला का यौन उत्पीड़न एवं पीछा करने के आरोप में एक दिन पहले गिरफ्तार किए गए केरल के अपने विधायक एम. विसेंट को कांग्रेस ने रविवार को पार्टी सचिव पद से निलंबित कर दिया।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एम. एम. हसन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने विंसेंट के खिलाफ की गई शिकायत की प्रकृति का संज्ञान लेते हुए उन्हें पार्टी के सचिव पद से निलंबित करने का फैसला किया है।

हालांकि, हसन ने कहा कि शिकायतकर्ता पीड़िता की बहन ने उस पर संदेह जताया है।

हसन ने कहा, पीड़िता की अपनी बहन ने शिकायतकर्ता की मानसिक स्थिति पर संदेह जताया है। लेकिन एक पार्टी के तौर पर महिला का सम्मान करते हुए हमने उन्हें निलंबित करने का फैसला किया है। विधायक के तौर पर इस्तीफा देने का सवाल नहीं है, क्योंकि मामला अभी अदालत में है और हम मामले का नतीजा आने का इंतजार करेंगे।

हसन ने कहा कि पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करने और विंसेंट को गिरफ्तार करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई।

हसन ने कहा, यह कुछ नहीं बल्कि माकपा के एक विधायक और पार्टी के नेताओं द्वारा रची गई राजनीतिक साजिश है। इसी तरह की प्रकृति के कुछ और मामले हैं, जिसमें माकपा के सदस्यों को फंसाया गया है और इन मामलों में पुलिस कुछ नहीं कर रही है। लेकिन इस मामले में कुछ ही घंटों में विंसेंट से पूछताछ की गई और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

इस बीच, पीड़ित की बहन ने रविवार की सुबह मीडिया से कहा कि इस मामले में पीड़ित लंबे समय से दवाइयां ले रही है और उनका भाई माकपा का एक कार्यकर्ता है।

पुलिस ने विंसेंट को शनिवार को हिरासत में लिया और पूछताछ की। कई घंटे चली पूछताछ के बाद विंसेंट को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

यह पहली बार है कि किसी मौजूदा विधायक को इस तरह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

विंसेंट ने यहां अग्रिम जमानत के लिए एक अदालत में अर्जी दी, लेकिन अब अपनी गिरफ्तारी के बाद वह सोमवार को जमानत की मांग करेंगे।

पीड़ित महिला के पति ने इसी हफ्ते स्थानीय पुलिस थाने में फोन पर धमकी देने और उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विंसेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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