प्रादेशिक
डॉक्टर पिता ने बेटी के प्रेमी का प्राइवेट पार्ट काटा, मारकर पेड़ से लटकाया
मऊ । जिले में हैवानियत से भरी वारदात में पिता ने बेटी के प्रेमी की वीभत्स तरीके से हत्या कर दी। प्रेमिका के पिता ने पहले प्रेमी का प्राइवेट पार्ट यानी गुप्तांग काट दिया और पीट-पीट कर हत्या कर दी।
जब इतने से भी मन नहीं भरा तो शव को पेड़ पर लटका दिया। आक्रोशित परिवारीजनों और ग्रामीणों ने सड़क पर चक्काजाम कर हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज मामले की जांच कर रही है।
मामला सरायलखंशी थाने के भवरेपुर गांव का हैं, जहां पेड़ से लटकते एक युवक का शव मिला। मृतक युवक के पिता राम विलास यादव ने बताया कि उसका बेटा और पास ही के खुरहट बाजार निवासी डॉक्टर की बेटी साथ ही कोचिंग पढ़ते थे।
डॉक्टर की बेटी बीती शाम पढ़ाई करने के लिए हमारे घर पर आई थी। तभी डॉक्टर के साथ दर्जनों बाइक पर सवार लोग हमारे घर आए और बेटे को जबरदस्ती अपने साथ थाने ले जाने की बात कही।
मृतक के पिता ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को बहुत ढूंढा, लेकिन उसका कही पता नहीं चला। पिता के अनुसार डॉक्टर ने रात में ही हमारे बेटे की हत्या कर उसका शव पेड़ पर लटका दिया था। घटना के बाद से परिवारीजनों में आक्रोश और दुख हैं। पुलिस जल्द ही घटना का खुलासा करने का दावा कर रही है।
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उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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