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असोम की मॉडल और गायिका बिदिशा ने गुरुग्राम में आत्महत्या की
गुरुग्राम। असोम की मॉडल और गायिका बिदिशा बेजबरूआ ने हरियाणा के गुरुग्राम में आत्महत्या कर ली है। तीन दिन पहले ही बिदिशा गुरुग्राम में आकर शिफ्ट हुई थीं।
बिदिशा ने हाल ही में रिलीज हुई रणबीर-कैटरीना की फिल्म जग्गा जासूस में काम किया है। इस मामले में उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया है।
कल देर रात दिल्ली के सुशांत लोक इलाके से बिदिशा बेजबरूआ के पति की गिरफ्तारी की गर्इ। मृतका के पिता ने विदिशा के पति निशित झा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दी थी।
बिदिशा असोम की लोकप्रिय अभिनेत्री और गायिका थीं। गुरुग्राम के सुशांत लोक में बिदिशा ने सोमवार रात पंखे से लटककर खुदकुशी कर ली।
30 साल की बिदिशा शादीशुदा थीं। हाल ही में वो मुंबई से गुरुग्राम आई थीं और दो दिन पहले ही गुरुग्राम के सुशांत लोक में पति के साथ शिफ्ट हुई थीं। पुलिस को बिदिशा के शव के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है.
गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ ने बताया, ‘’बिदिशा के पिता ने आरोप लगाया है कि बेटी का पति रोज उसे मानसिक रुप से प्रताड़ित करता था। इससे तंग आकर उसने खुदकुशी कर ली। सुशांत लोक थाना में सुसाइड के लिए उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया जा चुका है।’’
वहीं, पुलिस उपायुक्त (पूर्व) दीपक सहारन ने बताया, ‘‘बेजबरुआ अपने किराये के आवास पर पंखे से लटकी मिली थी। उन्होंने यह आवास हाल ही में किराये पर लिया था।’’ उन्होंने बताया कि अभिनेत्री के पिता ने उनको सूचित किया कि वह फोन नहीं रिसीव कर रही है।
सहारन ने बताया कि पुलिस मौके पर पहुंची तो उसने मेनगेट को अंदर से बंद पाया। पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर गई तो उसे पंखे से लटका पाया गया।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता के पिता ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि बेजबरुआ ने प्रेम विवाह किया था लेकिन पति से अक्सर उसकी लड़ाई होती रहती थी।
सहारन ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम बयान दर्ज करने के लिए उसके पति को बुलाएंगे। उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
पुलिस ने बिदिशा के पति निशित झा पर खुदकुशी के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मामले की जांच करने की मांग की है।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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