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मुस्लिम युवक को जड़ा थप्पड़, कहा- भारत माता की जय बोलो

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मुस्लिम जम्मू-कश्मीर, अमरनाथ, हिसार, मस्जिद, बजरंग दल

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हिसार। जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश में गम और गुस्सा है। हरियाणा के हिसार में आतंकवाद का पुतला फूंकने के बाद बजरंग दल के लोग मस्जिद पहुंच गए।

वहां उन्‍होंने एक शख्स को बाहर निकाल कर उसे भारत माता की जय बोलने को कहा और उसे थप्पड़ भी मारे। मस्जिद की ओर से इस मामले की शिकायत पुलिस से की गई है।

इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद मस्जिद के बाहर पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कई लोगों ने इमाम को घेर रखा है, उससे ज़बरदस्ती भारत माता की जय के नारे लगाने की बात की जा रही है। इसी बीच शख्स ने लोगों को कहा कि कश्मीरी गद्दार हैं।

पुलिस ने इस घटना के बाद कुल 200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। कहा जा रहा है कि ये शख्स मस्जिद का इमाम है

दरअसल, सोमवार को हुए आतंकी हमले के विरोध में नारेबाजी करते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ता एक मस्जिद की ओर चले गए। मस्जिद के करीब पहुंच कर लोगों ने उन्होंने आतंकवाद का पुतला फूंका, तभी शोर की आवाज़ सुनकर एक शख्स बाहर निकल आया।

हंगामा कर रहे लोगों में से एक ने उस व्यक्ति को थप्पड़ भी जड़ दिया। इसके बाद वह मस्जिद के अंदर भागा। उसके बाद मौके पर पुलिस आ गई और लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की।

अमरनाथ यात्रा पर हुए आतंकी हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की ओर से एक मुस्लिम की पिटाई के मामले पर कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल का बड़ा बयान आया है।

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं स्वाभाविक हैं। कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसी कोई पिटाई हुई तो यह निंदनीय है। मामले में कानून अपना काम करेगा और नियमों के अनुसार जो कार्यवाही होगी, वह की जाएगी।

यह भी पढ़ें : ‘अमरनाथ आतंकी हमले की निंदा कश्मीरियत के जिंदा होने का सबूत’

उधर कांग्रेस ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि देश में जहां पर भी भाजपा की सरकार है वहां पर वे इसे छोटी-छोटी घटनाएं बता कर समाज में जिस तरीके से जहर घोल रहे हैं और यह घटनाएं बड़ा रूप ले रही है, वह कहीं न कहीं बीजेपी की सोच को दर्शाती है.

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जो राम को लाए है, वो ‘राम’ के भरोसे है

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कमल भार्गव

एक बरसों पुराना मशहूर भजन है ‘तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करें ..’। इन दिनों चल रहे चुनावी माहौल में इस भजन को कई मायनों में सटीक माना जा सकता है। पहला भारतीय जनता पार्टी द्वारा बीती जनवरी में अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर एक मास्टर स्ट्रोक खेलना तो दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश खास तौर पर मेरठ में भगवान राम का किरदार रुपहले पर्दे पर निभाने वाले अरुण गोविल को मरेठ-हापुड़ लोक सभा सीट पर अपना उम्मीदवार बना कर माहौल को राममय करने की कवायद की है।

देखा गया है कि बीजेपी खास तौर पर मोदी-शाह के फैसले ज्यादातर चौंकाने वाले होते रहे है। एक बार फिर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मेरठ-हापुड़ लोक सभा सीट पर हैट्रीक लगाने वाले मौजूदा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का टिकट काट कर रुपहले पर्दे के ‘राम’ अक्का अरुण चन्द्रप्रकाश गोविल को अपना प्रत्याशी घोषित कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। काफी हद तक को महानगर कि जनता को यह समझ नहीं आ रहा कि पार्टी का ये फैसला सही है या गलत है। हर किसी के अपने-अपने तर्क है। शहर की जनता का मानना है कि जो मिजाज और लोगों को एक स्थानीय नेता समझ सकता है वो एक बाहरी समझ से परे हो सकता है। देखा जाए तो ये तर्क इस लिए भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि सन 1952 से लेकर अब तक के लगभग सोलह लोक सभा चुनावों में से दस बार बाहरी प्रत्याशी ने इस सीट का नेतृत्व किया है। इसमें वर्ष 1951, 1957, 1962 व 1971 के चुनाव में शाह नवाज खान सांसद के तौर पर शामिल है। इसी प्रकार छठी, सातवीं व आठवीं लोक सभा में एक बार फिर से कांग्रेस कि कद्दावर नेत्री महोसिना किदवई को प्रत्याशी बना गया था और उन्होंने बाहरी प्रत्याशी के तौर पर तीनों बार चुनाव में जीते हासिल की थी। वहीं सन 1999 में भी कांग्रेस ने अवतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था ओर वो इस सीट से सांसद चुने गए थे।

ऐसे में एक बार फिर मौजूदा रुलिंग पार्टी ने टीवी धारावाहिक रामायण के राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव हो चुका है। अब सभी की निगाह दूसरे चरण पर है। भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही अपनी चुनावी अगाज पिछले कई चुनावों में करती आ रही है। इस बार पीए मोदी ने नारा दिया है ‘अब की बार चार सौ पार’। कहा जा सकता है कि भाजपा इस क्षेत्र में कोई चांस लेना नहीं चाहती है और खास तौर पर पहले और दूसरे चरण में अपनी पार्टी के लिए बढ़त बनने की पूरी कोशिश कर रही है। काफी हद तक माना जा रहा है कि मजबूत दावेदारी और प्रत्याशियों के मान मनोवल के लिए मेरठ अकेले में प्रधानमंत्री मोदी एक बार तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मात्र लगभग दो से तीन सप्ताह के अंतराल में तीन जन सभा तो एक सम्मेलन को समबोधित कर चुके है।

एक नजर राजनीतिक समीकरण पर डाले तो मेरठ समेत वेस्ट यूपी में किसान और गन्ना एक बड़ा मुद्दा रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र को जाट लैंड के तौर पर भी माना जाता है। बाकी हर चुनाव में मतदान से पहले धर्म और जाति के नाम पर ध्रुवीकरण होना एक आम धारना है। 2024 के रण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक राहत तो सत्ताधारी पार्टी के लिए कम से कम है और वो है आखिर में राष्ट्रीय लोक दल से गठबंधन होना। माना जा सकता है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा जाना और जंयत चौधरी का साथ कही ना कही किसान और जाटों को एक जुट करने में मददगार साबित होगी। पर एकाएक ठाकुरों का एकाएक बीजेपी से नाराजगी जताना और दूरी बनाना भी एक चिंता का विषय बना हुआ है।

लेकिन अब सवाल है दलित – मुस्लिम – हिन्दू वोट बैंक का। इस बार के चुनाव में बीजेपी और आरएलडी एक साथ है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन चुनावी मैदान में है, तो वही मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी अकेले ही मोर्चा सँभाले हुए है। इसे रणनीति कहा जाए जा फिर सोची समझी चाल कि मेरठ – हापुड सीट पर किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं उतारा है। देखा जाए तो शायद ये ऐसा पहले मौका होगा। अब तक ये देखा गया है कि आखिर में चुनाव मेरठ और आसपास के शहरों में हिन्दू – मुसलिम के नाम ही होता रहा है। ऐसे में वोट धर्म – जात बिरादरी के नाम पर बिखरता नजर आ रहा है। माना जा सकता है कि मुस्लिम काफी हद तक समाजवादी पार्टी के तरफ जा सकता है तो दलित बहुजन समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य दलों में बट सकता है। भगवा पार्टी को उम्मीद है कि उसके पक्ष में हर वर्ग जाति और समाज का वोटर है। ऐसे में ‘राम’ की एंट्री को बीजेपी अपना तुरप का इक्का मान रही है। पार्टी से जुड़े लोगों की माने तो ‘राम जी’ के आने से ना सिर्फ मेरठ में फर्क पड़ेगा बल्कि सम्पूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राम लहर देखी जा सकेगी।

‘राम’ के सक्रिय राजनीति में आने से अब पीएम मोदी और सीएम से लेकर पार्टी का हर छोटा और बड़ा कार्यकर्ता इसे अपनी प्रतिष्ठा मान रहा है। देखा जाए तो हर स्तर पर राम यानी अरुण गोविल के लिए जन सभा और समर्पक, रोड शो की जा रही है। लेकिन ऐसे में स्थानीय की जगह बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतरना और ‘राम’ बाण का चलाना कितना सफल रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा।

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