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प्रादेशिक

हैवानियत : एसिड अटैक की पीड़िता पर फिर फेंका तेजाब

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लखनऊ। एसिड अटैक की शिकार युवती को फि‍र से एसिड से जलाए जाने की घटना सामने आई है। पीड़िता के लखनऊ स्थित हॉस्टल में घुसकर किसी अनजान शख्स ने वारदात कर दी। बता दें कि यह वहीं युवती है, जिस पर मार्च माह में ट्रेन में एसिड अटैक हुआ था। इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पीड़िता से मिलने अस्पताल भी पहुंचे थे।

रायबरेली की रहने वाली यह युवती अलीगंज स्थित श्रमजीवी हॉस्टल में रहती है। वह निजी कंपनी में जॉब करती है। शनिवार शाम वह हॉस्टल के वॉशरूम में मुंह धोने के लिए पहुंची थी, उसी दौरान किसी अनजान शख्स ने उसके ऊपर तेजाब फेंक दिया।

युवती की चीख-पुकार सुन हॉस्टल के लोग वहां जमा हो गए। गार्ड ने फौरन पुलिस को सूचना देते हुए युवती को अस्पताल पहुंचाया। हॉस्टल की वार्डन नीरा सिंह ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हॉस्टल के भीतर अगर लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं तो फिर महिलाओं के लिए सुरक्षित जगह कौन सी होगी।

एसपी हरेंद्र कुमार ने इस बारे में कहा, पुलिस की एक टीम केस की जांच कर रही है। पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगाल रही है। जल्द ही आरोपित को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

बताते चलें कि पीड़िता गैंगरेप की भी शिकार हो चुकी है, पीड़िता पर मार्च माह में ट्रेन में उस वक्त एसिड अटैक किया गया था, जब वह गंगा–गोमती एक्सप्रेस से रायबरेली से लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची थी। तेजाब से झुलसी युवती को जीआरपी ने अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़िता ने बताया था कि ट्रेन में दो युवकों ने उसे जबरदस्ती तेजाब पिलाया और ट्रेन से कूदकर भाग गए।

घटना की जानकारी मिलते ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पीड़िता से मिलने अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने पीड़िता को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था। साथ ही पीड़िता के मुफ्त इलाज और 1 लाख रुपये के मुआवजे का एलान भी किया था।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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