नेशनल
आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सुपर-30 के सभी विद्यार्थी सफल
पटना, 11 जून (आईएएनएस)| भारतीय प्रौद्यागिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित संस्थान सुपर-30 के सभी 30 विद्यार्तियों ने इस वर्ष आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में सफलता पाई है। रविवार को जेईई परिणाम घोषित किए जाने के बाद सुपर- 30 के संस्थापक और गणितज्ञ आनंद कुमार ने कहा है कि अब सुपर-30 का आकार और भी बड़ा किया जाएगा। नतीजों के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आनंद कुमार ने कहा, यह बच्चों की निरंतर मेहनत का नतीजा है कि उन्होंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की है। अब समय आ गया है, जब सुपर 30 के आकार को और व्यापक किया जाए।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष सफल विद्यार्थियों में अधिकांश बच्चे दैनिक मजदूर, सीमांत किसान और प्रवासी मजदूरों के बच्चे हैं तथा सभी 12वीं की परीक्षा पास कर चुके हैं।
आनंद ने कहा कि सुपर 30 में नामांकन के लिए इस वर्ष देश के अलग-अलग हिस्सों में जांच परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसकी जानकारी वेबसाइट पर दी जाएगी।
सुपर-30 पिछले 15 वर्षो से बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने में जुटा है। अब तक इस संस्थान से कुल 396 छात्रों ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता पाई है।
संस्थान गरीब परिवारों के 30 बच्चों का चयन करता है और उन्हें मुफ्त कोचिंग, भोजन और रहने की सुविधा देता है ताकि वे अपना ध्यान केवल आईआईटी-जेईई में सफल होने पर केंद्रित कर सके।
इस कार्य में आनंद का पूरा परिवार उनका साथ देता है। उनकी मां घर में स्वयं सभी 30 बच्चों के लिए खाना बनाती हैं और उनके भाई प्रणव बच्चों को आईआईटी की तैयारी करवाते हैं। इस कार्य के लिए आनंद देश-विदेशों में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं।
आनंद कुमार का दावा है कि इस कार्य के लिए अब तक उन्होंने किसी प्रकार का अनुदान नहीं लिया है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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