Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

1 जुलाई से इनकम टैक्‍स रिटर्न भरने के लिए आधार जरूरी

Published

on

आईटी, इनकम टैक्‍स रिटर्न, आधार नंबर, सीबीडीटी

Loading

नई दिल्ली। सीबीडीटी यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने शनिवार को यह साफ कर दिया  है कि 1 जुलाई से इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड नंबर अनिवार्य होगा। इसके अलावा नया पैन हासिल करने के लिए भी इसकी जरूरत होगी।

आईटी, इनकम टैक्‍स रिटर्न, आधार नंबर, सीबीडीटी

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नीति-निर्धारक संस्था ने बयान जारी कर कहा कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले में सिर्फ उन लोगों को ही ‘आंशिक राहत’ दी गई है, जिनके पास आधार कार्ड या फिर पंजीकरण आईडी नहीं है।

टैक्स बोर्ड ने साफ किया कि ऐसे लोगों का पैन रद्द नहीं किया जाएगा, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। सीबीडीटी ने तीन बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए बयान जारी किया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में अपनी राय रखी।

1– जुलाई से आधार हासिल करने के योग्य हर व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त आधार नंबर या फिर एनरोलमेंट आईडी भरनी होगी। इसके अलावा पैन के आवेदन के लिए भी आधार की जरूरत होगी।

2–आदेश के मुताबिक, ‘1 जुलाई, 2017 को जिन लोगों के पास परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन नंबर होगा और यदि वे आधार धारक हैं या उसके योग्य हैं तो उन्हें पैन को इससे जोड़ने के लिए टैक्स अथॉरिटीज को आधार नंबर देना होगा।’

3–सीबीडीटी ने आधार कार्ड न बनवा पाने वाले लोगों के लिए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन लोगों को ही आंशिक राहत दी गई है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। ऐसी स्थिति में इन लोगों के पैन रद्द नहीं किए जाएंगे और उन्हें आधार कार्ड बनवाने का मौका दिया जाएगा।’

यदि किसी का PAN कैंसल कर दिया जाता है तो वह अपने सामान्य बैंकिंग और फाइनैंशल ऑपरेशंस नहीं कर सकेगा। लेकिन, यह स्पष्ट कर दिया गया है कि 1 जुलाई से नए PAN के लिए और आईटीआर भरने के लिए आधार अनिवार्य होगा।

सीनियर अधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लॉ मिनिस्ट्री के शीर्ष लोगों, फाइनैंस मिनिस्ट्री, सीबीडीटी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से अध्ययन किया गया है। उसके बाद ही ये दिशा–निर्देश जारी किए गए हैं।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

Continue Reading

Trending